जन औषधि केंद्रों पर देशवासियों का भरोसा बढ़ा है। इस पर मिलने वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं ने जहां एक ओर देशवासियों का पैसा बचाया है वहीं दूसरी ओर भरोसा भी बढ़ाया है। इसका फायदा केवल मरीज ही नहीं बल्कि दुकानदार भी उठा रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जन औषधि के जरिये देश के दुकानदारों ने 247 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमाएं हैं।  बता दें कि आठ साल पहले यह मुनाफा करीब दो करोड़ था, लेकिन अब इसमें 103 गुना की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान सालाना कारोबार भी 12 से बढ़कर 1236 करोड़ तक पहुंचा है।

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय का कहना है कि  देश भर में जन औषधि केंद्रों ने नागरिकों के कुल 23,000 करोड़ रुपए बचाने में मदद की है। मंत्रालय ने इसकी घोषणा तब की जब केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 42वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में जन औषधि स्टॉल का दौरा किया और स्टॉल के कामकाज की निगरानी की।

इस स्टॉल के माध्यम से जन औषधि की सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के बारे में जनता से जानकारी साझा की गई है। मंत्री ने इस बात की सराहना की कि यह स्टॉल पूरे देश में सुलभ और किफायती स्वास्थ्य देखभाल बनाने की भारत सरकार की महान परियोजना के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है।

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पीएमबीजेपी के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश में इस समय 9484 जन औषधि केंद्र हैं और सरकार इसी साल दिसंबर माह तक इनकी संख्या 10 हजार से अधिक करने जा रही है। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश 1410 और कर्नाटक में 1076 जन औषधि केंद्र हैं। इनके अलावा दिल्ली में 395, पंजाब में 319, हरियाणा में 256, जम्मू कश्मीर में 226, उत्तराखंड में 224, हिमाचल प्रदेश में 61 और चंडीगढ़ में 11 केंद्र हैं।

पीएमबीजेपी के सीईओ रवि दधीचि ने जानकारी दी कि देश के 756 में से 651 जिलों में मौजूद 9484 जन औषधि केंद्रों पर हर दिन 10 लाख से अधिक लोग दवाएं खरीद रहे हैं जिन्हें ब्रांडेड की तुलना में पांच से छह गुना सस्ती दवाएं मिल रही हैं। प्रति माह इन केंद्रों को मिलाकर करीब 120 करोड़ रुपये का कारोबार किया जा रहा है।