नई दिल्ली। कोरोना की वैक्सीन में कोविशील्ड बेहतर है या कोवैक्सीन? कोविशील्ड लगवानी चाहिए या कोवैक्सीन? इस तरह के सवाल लोगों के मन में चल रहे थे। गौरतलब है कि कोरोना की कौन की वैक्सीन बेहतर है इसे लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है। वैक्सीन को लेकर सबसे पहली बात जो सरकार कहती है कि आपके घर के नजदीक जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो उसे लें क्योंकि आपके लिए वैक्सीन जरूरी है। अब कोवैक्सीन और कोविशील्ड की तुलना में कौन बेहतर है इसे लेकर एक नया शोध किया गया है। कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड ज्यादा एंटीबॉडी तैयार कर रहा है।
एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड ने कोवैक्सीन की तुलना में अधिक एंटीबॉडी बनाई। भारत में की गई इस स्टडी में डॉक्टर और नर्स शामिल थे, जिन्होंने इन दोनों वैक्सीन में से किसी एक की डोज ले रखी थी। इस शोध में दोनों वैक्सीन देकर देखा गया कि कौन ज्यादा बेहतर है। शोध में यह पाया गया कि जिन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड लगायी है उनमें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी तैयार हो रही है।
इस शोध में 515 स्वास्थ्य कर्मचारियों को चुना गया था। इनमें से 456 को कोविशील्ड दिया गया था जबकि 96 लोगों को कोवैक्सीन दी गयी थी। शोध में दोनों ही वैक्सीन को बेहतरीन पाया गया लेकिन सेरोपॉजिटिविटी रेट और मीडियन एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में अधिक पाये गये हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी कौन सी वैक्सीन बेहतर है इस सवाल को हल करने की कोशिश की थी। ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड द्वारा बनायी जाने वाली एंटीबॉडी को लेकर खुलासा किया था जिसमें उन्होंने यह जानकारी दी कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद कोवैक्सीन की पहली डोज के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनती है। कौन सी वैक्सीन बेहतर है इसे लेकर लंबे समय से शोध चल रहा है। अब भी वैक्सीन को लेकर तरह- तरह के सवाल हैं। वैज्ञानिक, शोधकर्ता और डॉक्टर्स लगातार उन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।