अलीगढ़। सरकार भले ही दवा एवं अन्य स्वास्थ सेवाएं सस्ती होने पर जोर दे रही हो, मगर मरीजों को जीवनदान देने वाली दवाएं दिनोंदिन महंगी हो रही हैं। बीपी, शुगर और उच्च रक्तचाप से लेकर एंटीबायोटिक व एंटी एलर्जिक दवाइयां 10 से 20 फीसदी तक महंगी हो गईं हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर और टूट गई है। गौरतलब है कि हड्डी व मांसपेशियों के दर्द में इस्तेमाल होने वाली मोबीजॉक्स की एक गोली 12 की बजाय अब 15 रुपये में मिल रही है। डायबिटीज की दवा डायनाग्वि एमफोर्ट की 10 गोली का पत्ता पहले 90 रुपये का था, अब 105 रुपये में, टेरामाइसिन की 10 गोली का पत्ता 7.15 से 9.14 रुपये में मिल रहा है। डिस्प्रिन की 10 गोली का पत्ता पहले 4.70 का था, अब 11 रुपये का हो गया है। बीटाडीन लोशन 88.44 रुपए की बजाए अब 97 रुपए में, बीटाडीन आइंटमेंट 99 रुपए की बजाए 119 रुपए, केजेड (एंटी फंगल) 174 के स्थान पर 185 रुपए में, जेडएफआइ (एंटीबायोटिक) 89 रुपए के स्थान पर 101 रुपए, फेरोक्स एक्सएफ (आयरन सिरप) 149 रुपए के बजाए 163 रुपए, लिव-52 (200 एमएल) 110 रुपए की बजाए 115 रुपए में बिक रहा है। दवाओं की कीमतों में यह वृद्धि दो से छह माह के भीतर हुई है। केमिस्ट सुनील राना ने बताया कि विभिन्न दवा कंपनियां धीरे-धीरे कीमतें बढ़ा रही हैं। इसका बोझ मरीजों पर ही पड़ता है। रिटेलर्स केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री उमेश श्रीवास्तव ने बताया कि जीएसटी के बाद से दवाओं की कीमतें बढ़ रही हैं। छह माह में कई बार कीमतें बढ़ीं हैं। महंगी दवाओं के बोझ से कराह रहे मरीजों को सरकारी अस्पतालों से भी राहत नहीं मिल रही। इन अस्पतालों में असाध्य बीमारियां तो दूर सामान्य दवाएं तक उपलब्ध नहीं। वहां भी चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवाएं ही लिखते हैं।