मुंबई। भारत और अमेरिका में बनने वाली जेनेरिक दवा कंपनियों को यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एसएफडीए) का स्पोर्ट मिला है। गौरतलब है कि अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं की 90 फीसदी हिस्सेदारी है। यह तीन दशक पहले सिर्फ 33 फीसदी थी। एसएफडीए के कमिश्नर स्कॉट गॉटलिब के बयान से एसएंडपी बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स को मजबूती मिली है। अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं की बिक्री से जिन भारतीय कंपनियों को मोटी रकम हासिल होती है, उन्हें गॉटलिब के बयान से राहत मिली है। पिछले कुछ साल में जेनेरिक और भारत में बनी दवाओं की खराब छवि के चलते इन कंपनियों को काफी परेशानी हुई थी। गॉटलिब ने जारी किए न्यूजलेटर में लिखा है कि जेनेरिक दवाएं ब्रैंडेड दवाओं जितनी ही सुरक्षित और असरदार हैं। इनमें भी ब्रैंडेड दवाओं वाले ऐक्टिव इन्ग्रेडिएंट्स यूज होते हैं और दोनों एक ही तरह से काम करती हैं। इसलिए दोनों के लाभ और हानि एक जैसे होते हैं। चीफ ने कहा है कि रेग्युलेटर के सख्त स्टैंडड्र्स और इंस्पेक्शन नॉम्र्स जेनेरिक और ब्रैंडेड दवाओं पर एकसमान तरीके से लागू होते हैं। भले ही दवाएं शैनडोंग, भारत या फिर अमेरिका के इंडियाना में बन रही हों। क्या विदेशी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के प्रॉडक्ट्स के फेल होने के आसार ज्यादा होते हैं? इसका पता लगाने के लिए एसएफडीए ने 2017-18 में दुनियाभर के 323 प्रॉडक्ट्स की टेस्टिंग की थी। इनमें 100 से ज्यादा इंडिया की थीं। रेग्युलेटर के मुताबिक सभी 323 सैंपल अमेरिकी बाजार के लिए यूनाइटेड स्टेट्स फार्माकोपिया के तय क्वॉलिटी स्टैंडर्ड पर खरे उतरे।
गॉटलिब के मुताबिक, चीन में एसएफडीए की जांच में 2017-18 के बाद से कमी आई, जबकि इंडिया में इंस्पेक्शन में काफी बढ़ोतरी हुई है। अपनी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स के खिलाफ रेग्युलेटरी एक्शन से जूझ रहीं भारतीय दवा कंपनियों को राहत मिली क्योंकि अमेरिकी रेग्युलेटर ने उनकी ज्यादातर फैक्ट्रियों को क्लीयरेंस दे दी है। डॉ. रेड्डीज लैब, सन फार्मा और ल्यूपिन जैसी दिग्गज दवा कंपनियों के जो मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स एसएफडीए की जांच के दायरे में आए थे, उन्हें पिछले एक साल में हरी झंडी मिल चुकी है।
एसएफडीए की रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन फार्मा कंपनियों के अमेरिकी कारोबार की ग्रोथ वित्त वर्ष 2016 में 14.4 फीसदी और वित्त वर्ष 2017 में 4 फीसदी जबकि 2018 में -13.3 फीसदी रही थी। वित्त वर्ष 2018 से 2021 के बीच फार्मा इंडस्ट्री की एवरेज ग्रोथ 8-10 फीसदी रहने का अनुमान दिया गया है, लेकिन अब भी पक्की रिकवरी होती नजर नहीं आ रही है। इंडस्ट्री को अच्छा मुनाफा होने का अनुमान है, लेकिन उस पर अमेरिका में प्राइस, रेग्युलेटरी कंप्लायंस कॉस्ट, आरऐंडडी कॉस्ट और दूसरे मद में खर्च में बढ़ोतरी के अलावा रुपये में उतार-चढ़ाव के चलते दबाव बन रहा है।