शिमला (हिमाचल प्रदेश)। सूबे के एक दर्जन डॉक्टरों ने बार-बार हिदायत देने के बाद भी मरीजों की पर्ची पर जेनेरिक दवाइयां नहीं लिखी हैं। इस बारे में शिकायतें मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने मामले की जांच के साथ ही जेनेरिक दवाएं न लिखने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि इससे पहले भी जेनेरिक दवाइयां न लिखने के मामले में 15 डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि या तो इन डॉक्टरों की तनख्वाह रोकी जाए या फिर विभागीय कार्रवाई की जाए। इनमें से कुछ डॉक्टरों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। जेनेरिक दवाएं न लिखने की शिकायतें इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी), डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज (टांडा) और जोनल अस्पतालों से आई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को निर्देश दिए है कि वे मरीजों की पर्ची में जेनेरिक केंद्र में मौजूद दवाइयां ही लिखें। डॉक्टर इन दवाइयों की बजाय अलग कंपनियों की दवाइयां लिख रहे हैं। यह दवाइयां चुनिंदा निजी दुकानों में मिलती हैं। ऐसे में मरीजों को मुफ्त दवाइयों की बजाय महंगे दामों में दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बताया कि लोगों को निशुल्क दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं, जो डॉक्टर बाहर से दवाइयां लिख रहे हैं, उन पर कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास डॉक्टरों की ओर से जेनेरिक दवाएं नहीं लिखने की शिकायतें आई हैं। प्रदेश सरकार ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जेनेरिक केंद्र में जो दवाइयां उपलब्ध हैं, उनकी लिस्ट डॉक्टरों को उपलब्ध करवाई जाए, ताकि डॉक्टर दवाइयां मरीजों की पर्ची में लिख सकें। जो दवाएं जेनेरिक केंद्रों में उपलब्ध नहीं हैं, केवल वे ही दवाएं बाहर से ली जा सकती हैं।