नई दिल्ली। टॉरेंट फार्मा का वोनोप्राजन दवा के लिए टाकेडा फार्मास्युटिकल्स के साथ समझौता
किया है। टॉरेंट समूह की प्रमुख कंपनी टॉरेंट फार्मास्युटिकल्स लि. की ओर से बताया गया है कि यह गैर-विशिष्ट पेटेंट लाइसेंस समझौता है। समझौते के तहत कंपनी वोनोप्राजन दवा को भारतीय बाजार में पेश करेगी।
जीईआरडी के इलाज में इस्तेमाल होती है दवा वोनोप्राजन
बता दें कि वोनोप्राजन दवा का इस्तेमाल एसिड से संबंधित समस्या ‘गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स’ बीमारी (जीईआरडी
) के इलाज के लिए किया जाता है।
इस दवा की निर्माता कंपनी ने कहा कि टॉरेंट वोनोप्राजन को अपने ट्रेडमार्क काबवी के तहत बाजार में उतारेगी। टॉरेंट के निदेशक अमन मेहता का कहना है कि हमें भरोसा है कि कैबवी पेश किये जाने से जीईआरडी की बीमारी को कम करने में मदद मिलेगी और पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाली ‘गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल’ से संबंधित दवाओं की पेशकश और मजबूत होगी। इससे भारतीय दवा बाजार में एक प्रमुख कंपनी के रूप में हमारी स्थिति मजबूत होगी।
‘इंडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी’ द्वारा प्रकाशित 2019 के एक अध्ययन में बताया गया है कि भारतीय आबादी में जीईआरडी का प्रसार लगभग 8.2 प्रतिशत है। वहीं शहरी आबादी में इसका प्रसार लगभग 11.1 प्रतिशत है। जीईआरडी के इलाज में उपयोग किए जाने वाली दवाओं का भारतीय बाजार 8,064 करोड़ रुपये का है। यह पिछले चार साल में आठ प्रतिशत की संचयी दर से बढ़ रहा है।
जीईआरडी के नये और प्रभावी उपचार को सुलभ होंगे
वर्तमान में जीईआरडी के इलाज के लिए पैंटोप्राजोल (प्रोटॉन पंप इनहिबिटर) जैसे उपचार का उपयोग किया जाता है। दावा किया गया है कि टॉरेंट फार्मा ने कहा कि कैबवी की उपलब्धता देश में लोगों के लिए जीईआरडी के नये और प्रभावी उपचार को सुलभ बनाएगी।