अम्बाला, बृजेंद्र मल्होत्रा। पंजाब औषधि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठने लगी हैं। औषधि प्रशासन ने पिछले दिनों रेबनबहल फार्मास्यूटिकल के सीकेसी एन्ड एफ वाले एक गोदाम में दबिश दी। यहां ड्रग्स कन्ट्रोल ऑफिसर अमृतसर को भारी मात्रा में ट्रामाडोल मिली जिसकी गणना में ही कई घंटे लगे। जब औषधि प्रशासनिक अधिकारी ने स्टॉक को विशालकाय पाया तो अपने आला अधिकारियों को सूचित किया ताकि कार्यवाही में पारदर्शिता व ठोस कदम उठाया जा सके।
आला अधिकारियों की नजदीकियां या कोई राजनीतिक दबाव चला तो औषधि प्रशासन ने मामले को हल्के में लिया। किसी को भनक न लगे इसलिए 2 दिन तक सारी कार्यवाही कुछ कर्मियों तक ही रही। शायद कोई आपसी सहमति न बन पाने पर बात जगजाहिर हो गई। जब किसी भी दवा व्यापारी से ट्रामाडोल दवा कितनी ही कम मात्रा में क्यों न मिले, उस पर विभाग एनडीपीएस का मामला दर्ज करवाने से नहीं चूकती तो यहां एनडीपीएस को क्यों नही अमल में लाया गया। सवाल उठता है कि आखिर इस दवा व्यवसाई पर रहमोकरम क्यों किया जा रहा है। इस बारे जब औचक निरीक्षण में शामिल ड्रग्स कन्ट्रोल ऑफिसर अमृतसर 1 को फोन किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। क्षेत्र के सीनियर ड्रग्स कन्ट्रोल ऑफिसर करून सचदेवा ने बताया कि विभाग इस मामले में कड़ी कार्यवाही कर रहा है। जॉइंट कमिश्नर की तरफ से दवा व्यपारी को नोटिस दिया गया है। यह एक सीएन्डएफ का गोदाम है। यहां पर निर्माता द्वारा दवाइयां स्टॉक की व राज्य में थोक दवा विक्रेताओं को विक्रय की जाती हैं। ट्रामाडोल के स्टॉक व विक्रय की अनुमति अभी तक राज्य वितरक के पास नहीं है। अनुमति के लिए आवेदन अवश्य किया हुआ है लेकिन आवेदन कर देने से अनुमति नहीं मिल जाती। अत: यह अवैध स्टॉक की श्रेणी में आता है। सहायक राज्य औषधि नियंत्रक संजीव गर्ग व राज्य औषधि नियंत्रक ने सन्देश छोड़ा कि वे एक बैठक में हैं, अत: बात नहीं कर सकते। अब वास्तविकता वे ही जानें। पीसीए के अध्यक्ष ने बताया कि औषधि प्रशासन की अमृतसर में ट्रामाडोल का अवैध भंडार मिलने पर विभागीय कार्यवाही में अंतर साफ दिख रहा है। आला अधिकारियों व सेहतमन्त्री पंजाब से जब भी बैठक होगी, यह मुद्दा सशक्त रूप से उठाकर औषधि प्रशासन की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दोहरी नीति का विरोध करेंगे।