ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश जल्द ही ट्रेडिशनल मेडिसिन पर वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research ) शुरू करेगा। इस आशय की जानकारी यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दी गई। यह सम्मेलन भारतीय सांस्कृतिक चिकित्सा पद्धति एवं वैदिक परंपरा के आधार पर महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य पर आयोजित किया गया। सम्मेलन में योग, आयुर्वेद एवं यज्ञ विषय पर विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। प्रतिभागियों से अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने योग को आत्मसात करने पर जोर दिया।

भारतीय चिकित्सा पद्धतियां अहम

एम्स में आयोजित छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह और योग सोसाइटी के अध्यक्ष राज नारायण पांडेय ने संयुक्त रूप से किया। प्रो. मीनू ने कहा कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों योग, यज्ञ व आयुर्वेद को अव्वल दर्जा मिलना चाहिए। यह अब तक नहीं मिल पाया है। इसी कारण इन पद्धतियों को अब तक अनुसंधान के नजरिए से नहीं देखा गया।

एम्स ऋषिकेश ने उठाया कदम

उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से एम्स ऋषिकेश ने इस दिशा में पहल की है। संस्थान के स्तर पर ट्रेडिशनल मेडिसिन पर वैज्ञानिक अनुसंधान की जल्द शुरुआत की जाएगी। संस्थान की संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि योग एक जीवनशैली है व आयुर्वेद एक शाश्वत विज्ञान है।

महिलाओं का स्वास्थ्य बढ़ाता है योग

मुख्य वक्ता नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर प्रो. मीरा अंबिका महापात्रा ने बताया कि योग महिलाओं के स्वास्थ्य को न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि सामाजिक व मानसिक तौर पर भी विकसित करता है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रो. रविप्रकाश आर्या ने आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांत एवं अष्टांग योग पर व्याख्यान दिया। उन्होंने व्यक्ति के स्वस्थ रहने में दिनचर्या, ऋतुचर्या के महत्व पर प्रकाश डाला।

मरीजों पर किए अध्ययन की दी जानकारी

योग के जानकार रुद्र भंडारी ने योग व आयुर्वेद का कोरोना काल में मरीजों पर किए अध्ययन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योग व आयुर्वेद के मेल से तैयार उपचार से कोविड ग्रसित मरीजों को अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होता है।

सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला

श्रीराम योग सोसाइटी के प्रमुख योगाचार्य डॉ. नवीन पांडेय ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यट आफ योगा नई दिल्ली की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. इंदु शर्मा ने कहा कि योग को आत्मसात करने से शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।

सम्मेलन में सीएफएम एवं आयुष विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, डा. मीनाक्षी धर, सम्मेलन की समन्वयक डा. वंदना धींगरा, चिकित्सा अधिकारी आयुष डा. श्वेता मिश्रा, डा. राहुल , प्रो. एसएस श्रीयाल, प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने भी व्याख्यान प्रस्तुत किए।