ताइपे। डिप्रेशन को खत्म करने वाली एंटीडिप्रेसेंट दवाएं डायबिटीज के गंभीर होने का खतरा भी कम करती हैं। ताइवान में हुई नई रिसर्च में ये जानकारी सामने आई है। ताइवान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे लोग जो डायबिटीज और डिप्रेशन से जूझ रहे हैं उनमें ये दवाएं हालत बिगड़ने से बचा सकती हैं। यही नहीं, ये दवाएं डायबिटीज के कारण बढ़ने वाले मौत के खतरे को भी कम कर सकती हैं।
दवा और डायबिटीज के कनेक्शन को समझने के लिए रिसर्चर्स ने ताइवान में डायबिटीज और डिप्रेशन से जूझने वाले 36,276 मरीजों पर स्टडी की। रिसर्च में सामने आया कि यह मौत और दिल के रोगों का खतरा भी कम करती है।एंडोक्राइन सोसायटी के जर्नल क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में पब्लिश रिसर्च कहती है कि डायबिटीज के मरीजों में डिप्रेशन होने का खतरा रहता है। इस वजह से मरीजों में डायबिटीज के कॉम्प्लीकेशन बढ़ने की आशंका भी बनी रहती है। जैसे-किडनी की बीमारी, स्ट्रोक, आंख और पैरों से जुड़ी समस्या का खतरा बना रहता है।
डायबिटीज के मरीजों में डिप्रेशन होने पर ये एक्सरसाइज से दूरी बनाने लगते हैं। शरीर के वजन में बदलाव आने लगता है। तनाव भी बढ़ने लगता है। इसलिए स्थिति गंभीर हो जाती है। रिसर्चर शी-हेंग वेंग का कहना है, केवल डायबिटीज होने की तुलना में दोनों रोग होने पर इंसान की सेहत ज्यादा प्रभावित होती है। ऐसे में रोजाना ली जाने वाली एंटी-डिप्रेसेंट दवा हालत नाजुक होने का खतरा घटा सकती है।