अम्बाला (बृजेन्द्र मल्होत्रा )। करीब सात माह पूर्व एफडीए मुख्यालय में एक रहस्यमयी परछाई चर्चा का विषय बनी रही। इस परछाई ( डिप्टी स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर) के द्वारा एक फाइल चलाई गई थी कि मुझे लाइसेंसिंग पावर दी जाए। फाइल चली तो बात भी सार्वजनिक हुई और विभाग में चर्चा के पंख भी लगे कि क्या कारण है कि सक्षम राज्य औषधि नियंत्रक के सीट पर रहते हुए अधिनस्थ अधिकारी एलए की शक्ति प्राप्त कर ले। ऐसे में राज्य औषधि नियंत्रक की पोस्ट का क्या औचित्य रह जाएगा। सूत्र बताते हैं कि कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों ने मसला हल करवाने के लिए दोनों अधिकारियों की मध्यस्थता भी की, डिप्टी ने सभी के सामने एसीएस को ई-मेल के माध्यम से अपनी एलए पावर के लिए आवेदन फाइल को वापस लेने बाबत लिखा। बात यहीं समाप्त नहीं हुई। पता चला कि डिप्टी स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर ने एसीएस को निजी रूप से मिल ईमेल की बात से अनभिज्ञता जताते हुए एलए की फाइल पर जल्द उनके पक्ष में हस्ताक्षर करने का हर प्रकार से दबाव बनाना शुरू कर दिया। यदि विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता न लगती तो डिप्टी एलए की ताकत प्राप्त कर लेते। कहते हैं कि समय किसी भी जख्म को भर देता है, परन्तु स्पष्ट छवि के मालिक राज्य औषधि नियंत्रक के कार्यकाल के रहते उन्हीं के अधिनस्त अधिकारी सुपरसीड करेंगे की आहट से कुंठित राज्य औषधि नियंत्रक मन बनाये बैठे हैं कि निकट भविष्य में अपने जन्मदिन के अवसर पर पद छोडऩे का निर्णय ले सकते हैं। जबकि कार्यालय में मौजूद अधिकारी, चहेते, निकटस्थ राज्य औषधि नियंत्रक से आशावादी हैं कि अपना कार्यकाल पूरा करें, वहीं डिप्टी इस बात से मन ही मन प्रफुल्लित लगते हैं कि शीघ्र ही विभाग की कमांड सम्भाल लेंगे और सभी के बीच स्पष्ट करते हैं कि अब वे एलए की पोस्ट के चाहवान नहीं हैं जिसके लिए वे एसीएस को ई-मेल भी कर चुके हैं। विभाग के निकटस्थों को उलटफेर की संभावनाएं मात्र कोरी बातें प्रतीत हो रही हैं। उनके अनुसार राज्य औषधि नियंत्रक अपना कार्यकाल पूरा भी करेंगे और विभाग को देशभर में अनुकरणीय कार्य करने की मिसाल भी कायम करवाने में सक्षम भी हैं।