- प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ढाई हजार से अधिक केस आए
- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की निगरानी कड़ी, जांच के लिए नर्से भी अधिकृत
- कई जिलों में सीएमओ-एसएमओ इलाज के साथ-साथ फूड सैंपलिंग में भी दिख रहे ज्यादा व्यस्त
- अतिरिक्त बोझ से प्रभावित हो रही फूड सेफ्टी अधिकारियों की कार्यक्षमता
चंडीगढ़: एक तो हरियाणा में डॉक्टरों की कमी, जो हैं उनमें से अधिकाश इलाज के साथ-साथ फूड सैंपलिंग को भी खासी तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में मानसून की आहट के साथ ही मलेरिया और डेंगू के बढ़ते खतरे ‘खतरनाक’ हो सकते हैं, क्योंकि मलेरिया बुखार का प्रकोप जोरों पर है, वहीं डेंगू ने भी दस्तक दे दी है। प्रदेश के सरकारी एवं निजी अस्पतालों में मलेरिया बुखार से पीडि़त रोगी लगातार बढ़ रहे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मुंबई रवाना होने से पहले विभागीय अधिकारियों को इस मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश जारी करते हुए रोजाना रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
हरियाणा में हर साल मानसून के मौसम में मलेरिया बुखार तथा डेंगू की चपेट में हजारों लोग आते हैं। पिछले साल इस मामले में राज्य का मेवात जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। पिछले तीन माह के दौरान सरकारी अस्पतालों में मलेरिया बुखार का शिकार होकर करीब 2400 मरीज पहुंचे हैं। जिनमें से 50 फीसदी मरीज पिछले कुछ दिनों में मानसून शुरू होने के बाद ही अस्पतालों में आए हैं।
इसके अलावा अभी तक करीब एक दर्जन डेंगू रोगियों की शिनाख्त हो चुकी है। हरियाणा में मलेरिया बुखार के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले वर्ष इस मामले में हुई फजीहत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अभी से एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जिसके चलते मलेरिया की पहचान के लिए सभी अस्पतालों में विशेष किट मुहैया करवाई जा रही है। इस वर्ष में भी मेवात जिले में अब तक डेढ हजार से अधिक मलेरिया रोगियों की शिनाख्त की जा चुकी है। दूसरे नंबर पर 150 रोगियों के साथ यमुनानगर तथा करीब 125 रोगियों के साथ पलवल जिला तीसरे स्थान पर है।
सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने मेवात जिले में मलेरिया रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए पूरे जिले को 27 जोन में बांटकर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को तैनात किया है। बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री विज ने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह मलेरिया के संदिग्ध रोगियों की जांच विभाग द्वारा मुहैया करवाई गई विशेष किट के माध्यम से करें। इसके लिए राज्य में एक लाख से अधिक मलेरिया जांच किट मुहैया करवाई गई हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में तैनात नर्सों को भी आपात स्थिति में इस जांच के लिए अधिकृत किया गया है।