नई दिल्ली। जानलेवा रोग डेंगू, चिकनगुनिया और इंसेफेलाइटिस से बचाव में होम्योपैथिक दवा रामबाण है। इपोटोरियम दवा का सेवन डेंगू से बचाता है। यह दावा विश्व होम्योपैथिक दिवस पर आयोजित सम्मेलन के दौरान होम्योपैथ के डॉक्टरों ने किया। डॉक्टरों ने कहा कि इस चिकित्सा पद्धति में डेंगू व इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए कारगर दवाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि मानसून के दिनों में इन मच्छरजनित बीमारियों का संक्रमण फैलता है। खासतौर पर डेंगू का प्रकोप दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे देश में देखा गया है। वहीं, इंसेफेलाइटिस से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में हजारों लोग प्रभावित होते हैं।
ऐसे में इन बीमारियों की रोकथाम व इलाज की कारगर तकनीक ढूंढना चिकित्सा जगत के लिए बड़ी चुनौती है और इस पर अनेक शोध भी चल रहे हैं। सम्मेलन के दौरान डेंगू व इंसेफेलाइटिस पर शोध करने वाले कोलकाता स्थित डीएनडीई मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के पैथोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. सतदल दास को सम्मानित किया गया। इस मौके पर डॉ. सतदल ने कहा कि बरसात के मौसम में डेंगू से बचाव के लिए स्वस्थ्य लोग तीन महीने तक हर सप्ताह होम्योपैथिक दवा की एक खुराक लें तो इस बीमारी से बच सकते हैं। होम्योपैथ में इपोटोरियम दवा डेंगू से बचाव में कारगर है। इसका ट्रायल भी किया गया है। इसके अलावा बेलाडोना 200-ई नामक दवा इंसेफेलाइटिस की रोकथाम में कारगर है। होम्योपैथ के डॉक्टरों का कहना है कि सरकार आसानी से इन दवाओं को लोगों में वितरित कराने की पहल नहीं करेगी। वजह यह कि एलोपैथिक दवा कंपनियों का भी बहुत दबाव है। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार चाहे तो इन दवाओं को एक बार बड़े समुदाय में वितरित कर इनका लाभ-हानि देख सकती है। उन्होंने दावा किया कि होम्योपैथिक दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।