जींद। जींद में डॉक्टर्स और पत्रकारों का विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा। एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी। यह कहावत नागरिक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों पर सटीक बैठ रही है। कल गरिमा टाइम्स ने आपको पूरे मामले की जानकारी दी थी। लेकिन अब जिला नागरिक अस्पताल के डॉक्टर्स की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिन मजदूरों को मामूली चोट कहकर भगा दिया गया था अब दर्द बढ़ने की वजह से उन्हें पीजीआई रोहतक रेफर किया गया। रोहतक पीजीआई की रिपोर्ट ने मामले को और भी ज्यादा गर्म कर दिया है।

जानकारी के अनुसार नागरिक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में निर्जन गांव में एक झगड़े में घायल होकर पहुंचे मरीजों के उपचार में चिकित्सकों ने बड़ी लापरवाही की। यहां तैनात चिकित्सकों ने तीन घंटे तक मरीजों का कोई उपचार नहीं किया और कहा था कि इनको मामूली चोट हैं। पीजीआई रोहतक में इनमें से दो की हड्डिया टूटी हुई मिली। हड्डियां टूटने के कारण ही मरीज तीन घंटे तक कहराते रहे लेकिन इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा। जब डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला को शिकायत की गई तो वो खुद आये और फटकार लगाई लेकिन फिर भी इन चिकित्स्कों ने इलाज नहीं किया। ऐसे में डॉ. राजेश भोला ने स्वयं इमरजेंसी के मरीजों को संभाला।

इसके बाद तीनों मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जुलाना में चले गए। यहां से दीपक व मनजीत को पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया। पीजीआई रोहतक में उपचार के दौरान सामने आया कि दीपक की उंगली टूटी हुई है जबकि मनजीत की दो जगह से बाजू टूटी हुई है। इससे साफ है कि इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों को मरीजों के इलाज से कोई लेनादेना नहीं है। हड्डियां टूटने के कारण ही मरीज दर्द से चिल्ला रहे थे लेकिन यहां तैनात चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा। घायलों के तीमारदार अनिल कुमार ने कहा कि इस बारे में वह चिकित्सकों के खिलाफ एक अन्य शिकायत भी देंगे ताकि भविष्य में किसी अन्य मरीज के साथ ऐसा नहीं हो।

बता दें रविवार रात को इमरजेंसी में तैनात दो चिकित्सकों ने दो घंटे तक न तो मरीज का इलाज किया और न ही उसकी एमएलआर (मेडिकल लीगल रिपोर्ट) काटी। इसके अलावा चिकित्सकों ने लड़ाई-झगड़े में घायल होकर आए तीन लोगों की सूचना भी पुलिस को देना उचित नहीं समझा। चिकित्सक यही नहीं रुके। उन्होंने मरीज के परिजनों पर दुर्व्यवहार करने, राजनीतिक दबाव डलवाने के आरोप लगाए। इसके अलावा मीडिया पर इन चिकित्सकों ने निशाना साधा। वहीं मरीज का इलाज नहीं होने पर मौके पर पहुंचे डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला पर भी इन चिकित्सकों ने दुर्व्यवहार करने तथा कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया।

डॉ. राजेश भोला ने भी इन चिकित्सकों के खिलाफ दुर्व्यवहार करने, अधिकारियों के आदेश नहीं मानने तथा मरीज को परेशान करने की शिकायत सिविल सर्जन को दी। डॉ. भोला ने यह भी कहा कि चिकित्सक इमरजेंसी वार्ड को छोड़कर चले गए। उन्होंने खुद एक घंटे तक इमरजेंसी को संभाला। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दी है। मरीज के परिजनों ने भी इमरजेंसी वार्ड में तैनात दोनों चिकित्सकों के खिलाफ डीसी, सिविल सर्जन व एसपी को शिकायत दी है।

दबाव बढ़ता देख सुबह नागरिक अस्पताल के गेट पर इमरजेंसी में ड्यूट दे रहे छह चिकित्सकों ने धरना शुरू कर दिया। उन्होंने एक अजीब सा मृत्यु प्रमाणपत्र बनाया। जिस पर मरीज के स्थान पर मृतक का नाम इमरजेंसी डॉक्टर लिखा हुआ था। मृत्यु का कारण स्थानीय मीडिया व राजनीतिक दबाव लिखा था। इंफेक्शन का कारण डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला लिखा था। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह मौके पर पहुंचे और चिकित्सकों को अंदर आकर बात करने के लिए कहा। सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह को दी शिकायत में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात सभी छह चिकित्सकों ने कहा कि डॉ. राजेश भोला उन पर अनावश्यक रूप से दबाव बना रहे हैं। डॉ. भोला उन पर सबसे बीच में चिल्लाए तथा कार्य में बाधा डाली। इसके अलावा डॉ. भोला ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इससे पहले भी डॉ. भोला उनके साथ ऐसा व्यवहार कर चुके हैं।

उधर डॉ. राजेश भोला ने दी अपनी शिकायत में कहा कि उनके फोन करने के बावजूद मरीजों का उपचार नहीं किया गया और न ही एमएलआर काटी गई। जब वह खुद अस्पताल पहुंचे और एमएलआर काटने के लिए कहा तो ड्यूटी पर तैनात दोनों चिकित्सकों ने मना कर दिया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि दोनों चिकित्सकों ने आदेशों का पालन नहीं किया। इसके बाद दोनों चिकित्सक इमरजेंसी ड्यूटी को छोड़कर निकल गए, जोकि एक गंभीर मामला है।

वहीँ रात को इमरजेंसी में इलाज नहीं होने पर शिकायत देते रामकली निवासी अनिल ने कहा कि उनके भाई मनजीत, चाचा जोगेंद्र व दीपक को घायल अवस्था में लेकर वह नागरिक अस्पताल में पहुंचे थे। यहां दो घंटे तक चिकित्सकों ने न तो घायलों का उपचार किया और न ही एमएलआर काटी। इसके अलावा पुलिस के पास रूका (झगड़े की सूचना) भी नहीं भेजा। चिकित्सकों ने उनके मरीजों व खुद उनके साथ दुव्र्यवहार करते हुए गाली-गलौज की और धमकी दी। जब उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को फोन किया तो भी उनके मरीजों का उपचार नहीं किया।

जब रात को इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ड्यूटी छोड़कर निकल रहे थे तो कुछ मीडिया कर्मियों ने उनका वीडियो बना लिया। इस पर इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक भड़क गए और धरने के दौरान मीडिया कर्मियों पर निशाना साधा। चिकित्सकों की बैठक में भी मीडिया कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही गई। सोमवार दिनभर चिकित्सकों की बैठक चलती रही। इसमें चिकित्सकों के दोनों पक्षों के बीच सिविल सर्जन डॉ. मनजीत सिंह व एसएमओ डॉ. गोपाल गोयल ने समझौता करवाने का दबाव बनाया, लेकिन दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी गलती मानने से इनकार करते रहे। बाद में दोनों पक्षों ने अपनी शिकायत सिविल सर्जन को दे दी।

नागरिक अस्पताल में एक वर्ष के दौरान छह नए चिकित्सक आए हैं। इन सभी की ड्यूटी इमरजेंसी वार्ड में लगाई गई है। अब तक मरीजों ने इन चिकित्सकों के खिलाफ ढेरों शिकायतें कर दी हैं। इनमें से कुछ शिकायतें को अस्पताल प्रशासन ने निपटवा दी और कुछ की जांच चल रही है। इनमें से एक शिकायत की जांच डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर पूनिया कर रहे हैं। जबकि एक शिकायत की जांच डॉ. रमेश पांचाल कर रहे हैं।  सभी शिकायतें एमएलआर काटने को लेकर व पोस्टमार्टम करने से मना करने की हैं।

डॉ. गोपाल गोयल ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का किसी के साथ झगड़ा हो जाता है और वह अस्पताल में उपचार करवाते समय एमएलआर कटवाना चाहे तो कटवा सकता है। जिले का कोई भी व्यक्ति जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में एमएलआर कटवा सकता है। इसके लिए कोई भी चिकित्सक मना नहीं कर सकता है। वही उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत करवाई गई है। जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा। इसके अलावा दोनों पक्षों ने तथा मरीज के परिजनों ने शिकायत दी है। शिकायतों की जांच करवाई जाएगी। नागरिक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। जांच में जो भी पक्ष दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।