पटना। स्वास्थ्य विभाग ने ऑनलाइन लाइसेंसिंग व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं ऑनलाइन जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए राज्य के सभी सहायक औषधि नियंत्रक एवं सभी औषधि निरीक्षक को एक-एक लैपटॉप सौंपा। लैपटॉप वितरण समारोह में प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि ड्रग लाइसेंसिंग की व्यवस्था ऑनलाइन हो गई है। ऐसे में ड्रग इंस्पेक्टर जिस दिन दवा दुकान का इंस्पेक्शन करें, उसी दिन जांच रिपोर्ट लैपटॉप में अपलोड करेंगे, जिससे कार्य में पारदर्शिता आएगी। इससे समय सीमा के अंदर कार्य पूर्ण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष में 2019-20 में 33 करोड़ की राशि से दवाओं की जांच करने वाली औषधि प्रयोगशाला को अपग्रेड किया जाएगा। दवाओं की जांच के लिए पांच प्रयोगशालाएं हैं। दवाओं की जांच के लिए निजी क्षेत्र की प्रयोगशाला की भी भागीदारी हो, इसके लिए भी कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि इंस्पेक्शन में देखें कि दवा की रसीद है कि नहीं, उसके रख-रखाव व कोल्ड चेन बनी हुई है कि नहीं। उन्होंने कहा कि अगर किसी दुकान पर कार्रवाई करनी हो तो सही तरीके से हो। आयुष मिलाकर लगभग 50 हजार ड्रग लाइसेंस बिहार में हैं। एक्ट में संशोधन के लिए भी आप अपने स्तर से सुझाव दे सकते हैं। औषधि निरीक्षकों के कार्यक्षेत्र का बंटवारा भी सामान्य तरीके से चुनाव के बाद होगा, ताकि कार्य में पारदर्शिता बनी रहे। समारोह की अध्यक्षता राज्य औषधि नियंत्रक रवींद्र कुमार सिन्हा ने की। इस मौके पर संयुक्त सचिव राम ईश्वर प्रसाद, बीएमएसआईसीएल के प्रेम रंजन, एनएमसी के प्राचार्य डॉ. सीताराम प्रसाद, अधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर, सहायक औषधि नियंत्रक सुनील कुमार सिंह, विजय कुमार, विश्वजीत दास, मनोज समेत 146 लोगों को लैपटॉप दिया गया।