हनुमानगढ़ (राजस्थान)। नशे की दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग पर अंकुश और नकली दवाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए औषधि नियंत्रण अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए विभाग की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। इसके तहत हर औषधि नियंत्रण अधिकारी को हर माह कम से कम 20 मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण अनिवार्य रूप से करना होगा। इसका मकसद अनाधिकृत व्यक्ति की ओर से दवा के अवैध कारोबार पर निगरानी के साथ ही आमजन को गुणवत्तापूर्ण दवा उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना है। गाइडलाइन के मुताबिक निरीक्षण के समय औषधि नियंत्रण अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि केमिस्ट की ओर से लाइसेंस शर्तों का पालन किया जा रहा है। इसमें संबंधित दुकान पर ड्रग लाइसेंस अनिवार्य रुप से ऐसी जगह प्रदर्शित किया गया हो जो दुकान पर आने वाले हर व्यक्ति को आसानी से नजर आए और पढ़ा जा सके। इससे प्रत्येक ग्राहक यह जान सकें कि दुकान पर जो फार्मासिस्ट कार्यरत है उसकी ओर से ही दवा बेची जा रही है। वहीं, प्रत्येक दवा विक्रेता को निरीक्षण पुस्तिका रखनी अनिवार्य होगी ताकि प्रत्येक निरीक्षण की प्रभावी मॉनिटरिंग हो सके। इसी के साथ डीसीओ अपने आवंटित क्षेत्र में दवा विक्रेताओं के अलावा भंडार गृह, दवाओं को लाने व ले जाने के काम आने वाले वाहनों की भी जांच कर सकेंगे। वहीं अगर किसी फर्म का लाइसेंस निलंबित हुआ है तो निलंबन अवधि में संबंधित दुकान नहीं खुले, इसके लिए डीसीओ तुरंत निरीक्षण कर एडीसी को रिपोर्ट कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। प्रत्येक औषधि नियंत्रण अधिकारी संदेह की स्थिति में छह सैंपल जिसमें एक फॉर्मूलेशन इंजेक्टेवल हो प्रतिमाह अधिनियम के तहत लेंगे। इनमें दो नमूने सरकारी संस्थानों में निशुल्क दवा वितरण वाली दवाओं से लिए जाएंगे। वहीं, होम्योपैथिक औषधियों एवं कॉस्मेटिक का एक-एक नमूना प्रत्येक छह माह में लिया जाएगा। गाइडलाइन के मुताबिक अधिकारी अधिकांश तौर पर ब्रांडेड दवाओं के सेंपल लेते हैं जिनकी अवमानक होने की संभावना कम रहती है। ऐसा औषधि नियंत्रण अधिकारी दवा के अवमानक घोषित होने पर कोर्ट केसेज आदि से बचने के उद्देश्य से करते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसमें अब कम कीमत पर डिस्काउंट और स्कीम पर बिकने वाली दवाओं के भी सेंपल लेने के निर्देश दिए हैं। जिले में 1500 से अधिक मेडिकल स्टोर, नशे का प्रभाव अधिक इसलिए विभाग भी हुआ सख्त: जिले में 1500 से अधिक मेडिकल स्टोर संचालित हैं। पोस्त पर प्रतिबंध के बाद जिले में नशीली और नकली दवाओं का अवैध कारोबार बढ़ा है। पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में बड़े पैमाने पर फैल चुके मेडिकल नशे की तस्वीर सामने आती है। नशे के खिलाफ निरंतर कार्रवाई से इस धंधे से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी से जिला जेल ही छोटी पडऩे लगी है। ऐसे में औषधि नियंत्रण विभाग ने प्रभावी नियंत्रण के लिए निर्देश जारी किए हैं।