अमृतसर। रेवन बहल फार्मास्यूटिकल की 12 लाख ट्रामाडोल बरामदगी के मामले मेंं किसी भी वक्त ड्रग विभाग व पंजाब पुलिस पर सीबीआइ का शिकंजा कस सकता है। 24 अगस्त से सिविल सर्जन कार्यालय स्थित ड्रग विभाग के अधिकारियों से पूछताछ में जुटी सीबीआइ की टीम ने दो दिनों में कई महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए हैं। सीबीआइ ने जहां ड्रग विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की, वहीं रामबाग स्थित पुराने सिविल सर्जन कार्यालय स्थित सिविल सर्जन कार्यालय में रखी इन दवाओं की गिनती भी की। बताया जा रहा है कि 12 लाख ट्रामाडोल में भी भारी संख्या में दवाओं की गिनती कम पाई गई है। हालांकि सीबीआइ के अधिकारी इस संदर्भ में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर रहे हैं।

दरअसल, दिसंबर 2019 में ड्रग विभाग ने जीटी रोड स्थित रेवल बहल फार्मास्यूटिकल कंपनी के गोदाम में छापामारी की थी। इस दौरान 12 लाख ट्रामाडोल बरामद की गई थी। यह बरामदगी उस वक्त हुई जब सरकार ने ट्रामाडोल को प्रतिबंधित किया था। कंपनी के संचालकों ने यह गोलियां गोदाम में डंप करके रखा था। यह संभावित है कि कंपनी के संचालक इन दवाओं को भारी भरकम मुनाफे के साथ बेचना चाहते थे। ऐन मौके पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सीबीआइ जांच के आदेश दिए। बीते दो दिनों तक सीबीआइ इन दवाओं की गिनती करती रही। जानकारी के अनुसार ट्रामाडोल की गोलियां कम निकली हैं। हालांकि ड्रग विभाग के अधिकारी इस संदर्भ में किसी भी बयानबाजी से बच रह रहे हैं। इससे साफ है कि ड्रग विभाग के अधिकारियों की भी इस मामले में मिलीभगत है।

सच्चाई यह है कि पंजाब पुलिस व ड्रग विभाग के अधिकारी इस प्रकार की कार्रवाई गुपचुप तरीके से करते हैं। इस बात की भनक सार्वजनिक नहीं की जाती। मीडिया को भी जानकारी काफी देरी से दी जाती है। ऐसा भी कह सकते हैं कि जानकारी तब सार्वजनिक की जाती है जब सेटिंग नहीं होती। 12 लाख ट्रामाडोल बरामदगी की जानकारी ड्रग विभाग ने सार्वजनिक नहीं की। बहरहाल यह संभावित है कि ड्रग विभाग के अधिकारी ही मामले को रफा-दफा करने में जुटे रहे होंगे।