कोटा। मेडिकल कॉलेज ड्रग वेयर हाउस (एमसीडीडब्ल्यू) में एक महंगे इंजेक्शन की गलत सप्लाई हो गई। दरअसल, आरएमएससीएल के स्तर से 250 आईयू (इंटरनेशनल यूनिट) की स्ट्रेंथ का इंजेक्शन ऑर्डर किया गया था और कंपनी ने 270 आईयू का माल सप्लाई कर दिया। आशंका  होने पर ड्रग डिपार्टमेंट की टीम ने वेयर हाउस पहुंचकर इस पूरे माल को फ्रीज कर दिया।
ड्रग इंस्पेक्टर प्रहलाद मीणा ने बताया कि हीमोफीलिक फैक्टर 8 इंजेक्शन 250 आईयू के लिए आरएमएससीएल के स्तर से टेंडर किए गए थे। यह इंजेक्शन विदेशों से आयात किया जाता है। कोटा में सप्लाई किया गया इंजेक्शन भी यूएसए का बना हुआ है, जिसे दिल्ली की एक फर्म के माध्यम से यहां सप्लाई किया गया था। टेंडर से लेकर वर्कऑर्डर और बिल सभी जगह इंजेक्शन की स्ट्रेंथ 250 आईयू दर्शाई गई है, लेकिन उच्चाधिकारियों की सूचना के बाद जब ड्रग वेयर हाउस में जाकर देखा तो इंजेक्शन 270 आईयू का मिला।
सप्लाई को संदिग्ध मानते हुए फिलहाल यहां रखे 499 इंजेक्शन फ्रीज कर दिए गए हैं और 1 इंजेक्शन को सबूत के तौर पर जब्त किया गया है। इस इंजेक्शन पर एमआरपी 3479 रुपए है, यानी बाजार दर के हिसाब से उक्त माल 17.39 लाख का है। हालांकि आरएमएससीएल के टेंडर में दवा की दर बाजार से काफी कम होगी, इसलिए यहां रखे माल की कीमत कम हो सकती है। यह इंजेक्शन ऐसे मरीजों को लगाया जाता है, जिनमें जन्मजात रक्त का थक्का नहीं जमता और ब्लीडिंग होने की समस्या रहती है। सहायक औषधि नियंत्रक देवेंद्र गर्ग ने बताया कि दवा और बिल में अलग-अलग स्ट्रेंथ होना धोखाधड़ी है। दवा भी संदिग्ध लग रही है।
इसके लिए उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा गया है। हम सैंपल लेना चाहते हैं, लेकिन परमिशन जयपुर से मिलेगी। क्योंकि सैंपल की जांच हिमाचल प्रदेश के कसौली में स्थित लैब में ही होती है। वहां कोल्ड चेन मेंटेन करते हुए इस सैंपल को पहुंचाना होगा। एक तरह से सैंपल कलेक्ट करने के साथ ही इंस्पेक्टर को वहां के लिए रवाना होना होगा और जिस तापमान पर सैंपल लिया, उसी तापमान पर वहां सौंपना होगा। ड्रग डिपार्टमेंट यह भी सवाल उठा रहा है कि जब बिल 250 आईयू का था तो कोटा में वेयर हाउस के कार्मिकों ने बिना देखे 270 आईयू का इंजेक्शन रिसीव कैसे कर लिया? हालांकि वेयर के प्रभारी डॉ. सुशील सोनी ने कहा कि यह इंजेक्शन आते ही आरएमएससीएल को सूचित कर दिया था। बाद में ड्रग डिपार्टमेंट ने इसे फ्रीज कर दिया। एक भी इंजेक्शन इश्यू नहीं हुआ। इसके टेंडर से लेकर सप्लाई तक के ऑर्डर का सारा काम आरएमएससीएल के स्तर पर भी होता है।