सूचना के बाद भी भिवानी सिविल सर्जन ने लेट-लतीफी की, क्यों?
भिवानी: हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग इन दिनों अपने मंत्री अनिल विज की ही तरह ज्यादा ही चर्चा हासिल कर रहा है। फूड सैंपलिंग में फूड सेफ्टी अधिकारियों के मुकाबले सीएमओ, एसएमओ कुछ ज्यादा ही चुस्ती दिखा रहे हैं, जबकी राज्य के अस्पतालों में अव्यवस्थाओं की खबरें मीडिया की सुर्खियों में रहती हैं और डॉक्टरों का बेहद अभाव है।
दूसरी ओर राज्य में नशा और अन्य प्रतिबंधित दवाईयों के कारोबार में तेजी आई है लेकिन ड्रग विभाग के मुकाबले खूफिया विभाग को इसकी सूचनाएं ज्यादा मिल रही है। कुछ दिन पहले रोहतक में खूफिया विभाग ने नशीली दवाईयों के साथ एक व्यक्ति को गाड़ी समेत पकड़ा था, और अब 2 जुलाई को भिवानी में भी ड्रग विभाग की बजाय खूफिया विभाग ने सप्ताहभर ‘होमवर्क’ करने के बाद नामी कंपनियों की नकल कर फूड सप्लीमेंट बनाने वाले गिरोह को पकड़ा।
सूत्रों की मानें तो इस तरह के गोरखधंधे करने वालों पर नजर रखने वाले सामाजिक संगठन व अन्य समाज सुधारक लोग ड्रग एवं फूड विभाग से जुड़ी जानकारी संबंधित विभाग को न बता कर खूफिया विभाग को दे रहे हैं। एक संगठन प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ड्रग एवं फूड विभाग तथा पुलिस को दी गई जानकारियों के बावजूद कार्रवाई में उन्हें अकसर निराशा हाथ लगी है। खूफिया विभाग इस काम को संजीदगी से अंजाम दे रहा है।
रोहतक में पिछले महीने 21 जून को खरावड़ बाईपास पर सीआईडी अधिकारी ज्योति भटनागर ने नशीली व अन्य प्रतिबंधित दवाओं से भरी गाड़ी को पकड़ा तो भिवानी से बीती 2 जुलाई को सीआईडी के सहायक उपनिरीक्षक राजकरण ने इंस्पेक्टर आजाद सिंह ढांडा के नेतृत्व में अवैध रूप से चलाए जा रहे फूड सप्लीमेंट कारखाने का भंड़ाफोड़ किया।
सीआईडी इंस्पेक्टर ढांडा ने बताया कि उन्होंने सवा दो बजे सिविल सर्जन को इस बारे में सूचना दे दी थी। लेकिन दो घंटे बीतने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची है।
कुरूक्षेत्र में हो रही पुलिस भर्ती में दवाईयों के अनावश्यक प्रयोग कर शारीरिक परीक्षा देने वाले युवाओं के मरने के बाद हरियाणा सीआईडी हरकत में आई है, लेकिन राज्य के ड्रग एवं फूड सेफ्टी विभाग का एक्शन फीका नजर आ रहा है।
खूफिया विभाग के मुताबिक, भिवानी के न्यू उत्तम नगर क्षेत्र से लाखों रूपये कीमत की दवाईयों से तैयार नकली फूड सप्लीमेंट अपने कब्जे में लिए है। यह धंधा पिछले एक साल से चल रहा है, लेकिन संबंधित विभाग नजर क्यों अब तक नहीं पड़ी, चर्चा और शर्म का विषय है।
पुलिस ने वाले दो युवकों को भी गिरफ्तार किया है, जबकि फैक्ट्री का मुख्य संचालक अभी तक गिरफ्त में नहीं आ सका। फैक्ट्री से 14 नामी-गिरामी कम्पनियों के प्रोटीन पाऊडर, प्रोटीन व्हे, साईप्रोहैप्टाडिन, डिक्सामिथासोन सहित स्टार्च 17 कट्टे बरामद किए हैं। इसके अलावा पुलिस ने इस फैक्ट्री से 150 के लगभग 2, 5 व 10 किलो के डिब्बे, 14 अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों के फूड सप्लीमेंट के नकली रैपर, एक दर्जन पॉलिथीन सहित प्रोटीन को मिक्स करने की चक्की, तोलने का कांटा व पैकिंग करने की मशीन भी इस अवैध कारखाने में बरामद हुई है। आरोपी युवक मात्र 14 रूपये के साईप्रोहैप्टाडिन दवाई के पैकेट व 44 रूपये के डिक्सामिथासोन दवाई के पैकेट को स्टार्च व चॉकलेट पाऊडर में मिलाकर फूड सप्लीमेंट तैयार करते थे। जिसकी गुणवत्ता खाने वाले को अस्पताल में पहुंचाने के लिए पर्याप्त थी।
इंस्पेक्टर आजाद ढ़ांडा के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी नरेन्द्र व मनीष से पूछताछ में पता चला है कि वे मुख्य आरोपी नवीन के साथ मिलकर लगभग एक साल से दवाईयों का प्रयोग करके फूड सप्लीमेंट बनाते थे। इनके पास से 14 नामी-गिरामी कम्पनियों जिनमें जीएमपी सर्टिफाईड, कनाडा नटारियो के न्यूट्रिशन, लबराडा कम्पनी का मास गेनर, एसएसआर फॉर्मा का व्हे प्रोर्टीन, फिकवा कम्पनी का मास गेनर, मोम कम्पनी का बिग मैक्स नाम का सप्लीमेंट, रिडएक्स लैब का व्हे काम्लेक्स, जपकटर कम्पनी का मस मास कम्पनियों के फूड सप्लीमेंट तैयार करके पांच से दस हजार रूपये कीमत में बेचा करते थे। इस फूड सप्लीमेंट को बनाने की कीमत मात्र 250 रूपये पड़ती थी इसकी एवज में 25 गुणा की कमाई की जाती थी।
सिविल सर्जन डॉ. रणदीप पूनिया से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें न्यू उत्तम नगर में फूड सप्लीमेंट बनाने के अवैध कारखाने चलाने की जानकारी मिली थी। तत्काल फूड सेफ्टी अधिकारी के रूप में डॉ. कृष्ण कुमार और अवैध रूप से दवाओं का जखीरा पकड़े जाने को लेकर जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी संदीप हुड्डा की टीम गठित करके कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।