लखनऊ : लखनऊ के ब्लड बैंकों में खून का काला कारोबार जानलेवा है। इस खुलासा खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच रिपोर्ट में हुआ है। जांच में ब्लड बैंकों द्वारा मुहैया कराएं जाने वाला खून मानव इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और अनुकूल नहीं पाया गया थे।

मेडलाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक, नारायणी ब्लड बैंक और मानव चेरिटेबिल ब्लड बैंकों ने खून के रख रखाव के दौरान मानक अनुरूप तापमान का पालन नहीं करने का आरोप लगा था।

जांच के बाद सहायक आयुक्त औषधि लखनऊ मंडल बृजेश कुमार ने ब्लड बैंक संचालकों, मेडिकल अफसरों के विरुद्ध सक्षम न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं।

लखनऊ में 29 और 30 जून को ब्लड बैंकों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। इस दौरान तहसीनगंज हरदोई रोड ठाकुरगंज स्थित मेसर्स मेडलाइफ चैरिटेबल ब्लड बैंक और एनडी कांप्लेक्स द्वितीय तल कृष्णानगर मेट्रो स्टेशन स्थित नारायणी ब्लड बैंक से दो-दो नमूने लिए गए थे। वही मेडलाइफ चेरिटेबल ब्लड बैंक द्वारा जिस वाहन से ब्लड की आपूर्ति की जा रही थी ।

उससे भी एक नमूना और पकड़े गए दो आरोपियों की निशानदेही पर मानव चेरिटेबल से लिए दो नमूनों (कुल सात नमूनों) की जांच के लिए राजकीय प्रयोगशाला भेजा गया था।

मंगलवार को सभी सातों ब्लड नमूनों की आई जांच रिपोर्ट हैरान करने वाली रही। रिपोर्ट में खून को अनफिट फार ट्रांसफ्यूजन घोषित किया गया। रिपोर्ट के बाद खून की आड़ में मानव जीवन से किए जा रहे खिलवाड़ पर विभाग के अफसर भी हैरान रह गए।

SGPGI की माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉ उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन में हल्की सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। ब्लड को स्टोर करने के निर्धारित मापदंड है। प्लेटलेट के लिए 20-24 डिग्री और प्लाज्मा के लिए -40 डिग्री तापमान होना बहुत जरूरी है।