नई दिल्ली : देश में एंटी-रेट्रोवायरल रेजीम (एआरवी) दवाइयों की कमी को लेकर ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) से संक्रमित लोगों का एक समूह यहां राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कार्यालय के बाहर पिछले 20 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

सरकार का दावा है कि राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर दवाओं की कोई कमी नहीं है। सरकार ने हाल ही में लोकसभा को बताया था कि भारत में एचआईवी से पीड़ित लगभग 95 प्रतिशत लोगों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एआरवी दवाओं का पर्याप्त भंडार है।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि एचआईवी से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ निश्चित दवाइयां अनुपलब्ध हैं और अधिकांश रोगियों को मजबूरी में अन्य दवाएं लेनी पड़ रही हैं।

उनका कहना है कि अगर अगले कुछ हफ्तों में दवाएं उपलब्ध नहीं होती हैं, तो इससे एचआईवी प्रभावित लोगों में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, डोलटेग्रेविर 50 मिलीग्राम दवा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की रीढ़ है और अप्रैल के बाद से देश भर में लगभग सभी व्यक्तिगत एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) केंद्रों पर यह दवा उपलब्ध नहीं है।

हमने राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी और नाको तथा स्वास्थ्य मंत्रालय को कई पत्र लिखे हैं, जिसमें इस जीवन रक्षक दवा की कमी का उल्लेख किया गया है, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।

एक अधिकारी ने कहा कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जो एचआईवी से संक्रमित 14.5 लाख से अधिक लोगों के आजीवन इलाज के लिए मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मुहैया कराता है।