बहादुरगढ़। मेडिकल स्टोर से दवाइयों के रूप में बिकने वाले नशे की खेप दिल्ली से आती है। इसको लेकर झज्जर के ड्रग विभाग ने कई बार दिल्ली प्रशासन को रिपोर्ट भेजी है, मगर वहां पर कार्रवाई नहीं हो रही है। यही वजह है कि बहादुरगढ़ में लगातार अवैध रूप से बिकने वाली दवाइयों का नशे के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में बहादुरगढ़ के अंदर विभाग ने दो मेडिकल स्टोर इसी आरोप में सील किए हैं। तो वहीं ड्रग कंट्रोल अधिकारी संदीप हुड्डा ने बताया कि दवाइयों का नशे के रूप में इस्तेमाल रोकने के लिए सभी मेडिकल स्टोर पर नजर रखी जा रही है।
बहादुरगढ़ में डेढ़ माह के अंदर ऐसे दो मेडिकल स्टोर पकड़े गए हैं। दोनों सील हैं। लाइसेंस को रद करने की प्रक्रिया चल रही है। दिल्ली में जो रिपोर्ट भेजी, उस पर कार्रवाई नहीं हुई। गौरतलब है कि मेडिकल स्टोर संचालकों को दवाइयां बिल पर खरीदनी होती हैं और डाक्टर की पर्ची के आधार पर ही उनकी बिक्री करनी होती है। मगर आम तौर पर जो दवाएं नशे के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं, उनकी खरीद पर्ची के आधार पर तो नाममात्र ही होती है। नशा करने वाले युवक सीधे मेडिकल स्टोर से इनकी खरीद करते हैं। मेडिकल स्टोर संचालक जब बिना किसी रिकार्ड के दवाइयां खरीदते हैं और बिना पर्ची बेचते हैं तो यह एक तरह से नशे का कारोबार होता है।
दरअसल, जो दवाएं दर्द और खांसी में इस्तेमाल होती हैं उनका इस्तेमाल नशे के तौर पर भी व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। इसका कुछ मेडिकल स्टोर संचालक फायदा उठाते हैं। ज्यादा कीमत पर इन दवाओं को नशे के आदि हो चुके युवकों को बेचा जाता है। चार दिन पहले बहादुरगढ़ के नजफगढ़ रोड पर एक मेडिकल स्टोर पर सीएम फ्लाइंग और ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम ने छापेमारी की। इसमें यहां से भारी मात्रा में दवाइयां अवैध रूप से मिली। इसके बाद मेडिकल स्टोर को सील करके लाइसेंस को रद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इससे पहले बादली रोड पर भी इसी तरह एक मेडिकल स्टोर को सील किया गया था। उसका लाइसेंस तो अब रद होने के कगार पर है। ऐसे मामलों की जांच में सामने आया है कि दिल्ली के होल सेलर से ये दवाएं बिना किसी रिकार्ड के खरीदी जा रही हैं।