शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव को आदेश जारी कर हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें कोर्ट को विभाग की तरफ से बताना होगा कि इस वित्त वर्ष में दवाओं की खरीद पर कितना पैसा खर्च किया गया है। क्या डाक्टर मरीजों को मुफ्त वितरण के लिए खरीदी गई दवाएं लिखते अथवा इसकी जानकारी देते हैं या नहीं, यह जानकारी भी शपथ पत्र में देनी होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित से जुड़े इस मामले में प्रधान सचिव आयुर्वेदा और निदेशक आयुर्वेदा को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें भी उपरोक्तबिंदुओं पर अपना-अपना हलफनामा दायर करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई 11 सितंबर को होनी है। कोर्ट के आदेशों में स्वास्थ्य सचिव से पूछा गया कि सरकार द्वारा वितरण के लिए खरीदी गई दवाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाए हैं और जनता में इसकी जानकारी फैलाने की क्या प्रक्रिया है।
बता दें कि आम जनता को अस्पताल की तरफ से दी जाने वाली मुफ्त दवाओं की पूरी जानकारी बाहर नोटिस बोर्ड पर लगानी होती है ताकि डॉक्टर या फार्मासिस्ट दवाओं का टोटा होना का बहाना बनाकर ब्रांडेड दवाएं लिखने से गुरेज करें। इसी को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने दवाओं के वितरण संबंधी विस्तृत जानकारी जनता के ध्यान में लाने के लिए साइन बोर्ड के उपयुक्तस्थान पर लगाए जाने का विवरण भी देने को कहा है। साथ ही आदेश दिया कि दवा वितरण में कोताही बरतने वाले कर्मियों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया जाए।