नई दिल्ली। देश में सभी तरह की एलोपैथिक दवाओं की कीमतें मूल्य नियंत्रण के दायरे में आ सकती हैं। इसके साथ दवाओं पर 30 फीसदी से ज्यादा का मुनाफा नहीं वसूला सकेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय की ओर से तैयार सौ दिन के एजेंडे में दवाओं के मूल्य पर नियंत्रण, मेडिकल शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पेशेवर कैडर की नियुक्ति को स्थान दिया गया है। दवाओं के मूल्य पर नियंत्रण मंत्रालय की प्राथमिकता में हैं। मंत्रालय का मानना है कि किसी भी कारोबार के लिए 30 फीसदी का मुनाफा काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में सभी दवाओं पर मुनाफे की अधिकतम सीमा को 30 फीसदी पर रखा जाएगा। किसी दवा की लागत का आकलन करने के लिए दवा पर आए लागत एवं कंपनी की ओर से आरएण्डडी पर किए जा रहे खर्च को भी शामिल किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नई सरकार के लिए तैयार अपने सौ दिन के एजेंडे में सभी प्रकार की दवाओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को नियंत्रित करने का प्रस्ताव रखा है। अभी तक सरकार सिर्फ अनुसूचित दवाओं की एमआरपी तय करती है।  इसी साल फरवरी महीने में सरकार ने कैंसर की 42 गैर-अनुसूचित दवाओं के लिए मुनाफे को 30 फीसदी पर सीमित कर दिया था। इस फैसले से 72 फॉर्मूलेशन के 355 दवाओं के ब्रांड की कीमत नियंत्रित हुई थी और इन दवाओं की कीमत में 85 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई थी। सौ दिनों के एजेंडा में मंत्रालय ने भारतीय इंजीनियरिंग सेवा की तर्ज पर एक भारतीय स्वास्थ्य सेवा को शुरू करने का प्रस्ताव भी रखा है। इस सेवा में सिर्फ डॉक्टरों की ही नियुक्ति की जाएगी और स्वास्थ्य संबंधी विभागों का संचालन इस सेवा से आए अधिकारियों के हाथ में होगा। ये एक ऑल इंडिया सर्विस होगी। बता दें कि समय-समय पर राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) दवाओं के मूल्य तय करता है। इसका मकसद यह है कि देश में उचित कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता बनी रहे। दवाओं के दाम तय करने में नियामक दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 का इस्तेमाल करता है। यह कानून उसे दवाओं के दाम निर्धारित करने की ताकत देता है साथ ही वसूली के भी अधिकार देता है।