नई दिल्ली। देश में जल्द 81 साल बाद दवा, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सीय उपकरणों से जुड़ा नया कानून आ सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नया कानून बनाने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि Drugs and Cosmetics Act, 1940 की बात करें तो इस कानून के जरिए दवा और कॉस्मेटिक्स के आयात, वितरण और बिक्री को आसानी से रेगुलेट किया जा सकता है। उसी कानून को संशोधन करते हुए अब सरकार ने मेडिकल डिवाइसेस को भी इसमें शामिल कर लिया है। फिलहाल, साल 1940 में बने औषधी प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत देश में इनका प्रोडक्शन, इंपोर्ट- एक्सपोर्ट और बिक्री हो रही है।
हालांकि, समय-समय पर इस कानून में कई सरकारों ने संशोधन किए। दरअसल लंबे समय से नए कानून और सख्त कानून की मांग की जा रही है। पुराना कानून अंग्रेजों के जमाने का है। इसलिए अब नए जमाने के मुताबिक, सख्त कानून की जरुरत है। जिस पैनल का सरकार ने गठन किया है उसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डायरेक्टर राजीव वाधवान को शामिल किया गया है। उनके अलावा ज्वॉइंट ड्रग कंट्रोलर एके प्रधान, गुजरात और महाराष्ट्र के ड्रग कंट्रोलर,ज्वॉइंट ड्रग कंट्रोलर डॉ. ईश्वरा रेड्डी को भी जगह दी गई है। इन सभी पर 30 नवंबर तक नए कानून के लिए मसौदा तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी (खासतौर पर दूसरी लहर) के दौरान दवाओं और चिकित्सीय उपकरणों की कालाबाजारी की शिकायतें सामने आई थीं। चिकित्सीय उपकरणों को लेकर लगातार ऐसे मामले भी देखने को मिल रहे हैं जिसके चलते कुछ ही समय पहले मंत्रालय ने कुछ उपकरणों को मूल्य नियंत्रण के दायरे में भी लाया था, लेकिन अब सरकार नए सिरे से कानून बनाना चाहती है।
सूत्रों की मानें तो केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही दवा, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल उपकरण के लिए नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। इस कानून के लिए सरकार द्वारा एक पैनल का भी गठन कर दिया गया है। पैनल में कुल आठ सदस्यों को रखा गया है और इसका हेड ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वीजी सोमानी को बनाया गया है। ये पैनल सरकार द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और फिर नए कानून के लिए 30 नवंबर तक एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट सौंपेगा।
फिर उन सिफारिशों के आधार पर नया न्यू ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइसेस एक्ट बनाया जाएगा। यहां पर ये जानना जरूरी है कि पहले वाले कानून में मेडिकल डिवाइसेस को शामिल नहीं किया गया था। लेकिन पिछले साल सरकार ने मेडिलक डिवाइसेस को भी ड्रग्स कैटेगरी में ला दिया था। ऐसा करते ही इन डिवाइसेस को रेगुलेट करने की ताकत भी सरकार के पास आ गई थी। अब नया कानून भी इसी दिशा में बनाया जा रहा है।