नई दिल्ली: दवा विभाग और दवा उद्योग की साझा बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने गैर अनुसूचित दवाओं के दाम 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की मांग उठाई। इसके पीछे तर्क ये कि प्रस्तावित गुड्स सर्विस टैक्स (जीएसटी) में अधिकतर दवाओं पर कर की दरें बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी गई हैं, जो फिलहाल तक 9 प्रतिशत हैं। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के मुताबिक, दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 में दवा कंपनियां गैर अनुसूचित दवाओं के दाम हर साल 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं। अब जीएसटी के तहत 80 प्रतिशत दवाओं को 12 प्रतिशत कर में रखा गया है।
दूसरी तरफ आवश्यक दवाओं पर 5 प्रतिशत कर लगाया गया है। दवा उद्योगपतियों ने तकनीकी रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट पर किए गए कर भुगतान की वापसी का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया। जीएसटी परिषद ने निर्णय लिया कि ऐसा स्टॉक जिनकी प्राप्तियां डीलरों के पास उपलब्ध नहीं है, सिर्फ 40 प्रतिशत इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाएगा। दवा उद्योग में 100 प्रतिशत रिफंड की मांग उठ रही है। यह मामला ऐसे समय आया है जब ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट्स एंंड ड्रगिस्ट के मुताबिक स्टॉकिस्ट स्तर पर भंडारण 40 दिन से घटकर 27 दिन रह गया है।