मुंबई। बीते वित्त वर्ष में भारतीय दवा कंपनियों के कारोबार में स्थिरता आई है। इससे पिछले वित्त वर्ष में जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें काफी परेशानी हुई थी। एल्केम लैबोरेटरीज जैसी दवा कंपनियों के रिजल्ट भी अच्छे आ रहे हैं। वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2018 में कंपनी की आमदनी में 11 पर्सेंट और मुनाफे में 14 पर्सेंट बढ़ोतरी हुई थी। डोमेस्टिक फार्मा कंपनियों के लिए जनवरी-मार्च तिमाही आमतौर पर कमजोर रहती है। उसकी वजह यह है कि 31 मार्च से पहले अधिकतर फार्मासिस्ट दवाओं का स्टॉक घटाते हैं। इसलिए तिमाही आधार पर एल्केम का रिजल्ट मार्च तिमाही में कमजोर रहेगा। हालांकि, सालाना आधार पर कंपनी की ग्रोथ 15 पर्सेंट के करीब रह सकती है क्योंकि साल भर पहले की इसी तिमाही में ग्रोथ काफी कम रही थी।
वित्त वर्ष 2018-19 में एल्केम की ग्रोथ अच्छी रही है, लेकिन कंपनी के लिए वित्त वर्ष 2017-18 काफी खराब था। ऐसे में रिकवरी काफी तेज रहने की उम्मीद की जा रही थी। दरअसल, एल्केम के मार्जिन पर दबाव बना हुआ है, इसलिए वित्त वर्ष 2018-19 में ग्रोथ में शार्प रिकवरी नहीं हुई। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते कंपनी की लागत बढ़ी है। इसके बावजूद मार्केट एनालिस्टों का मानना है कि 2019-20 में इसका मामूली असर कंपनी पर प्रदर्शन पर पड़ेगा। एल्केम का मार्जिन आने वाले वर्षों में 17 पर्सेंट के करीब रह सकता है।
वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी के डोमेस्टिक बिजनेस में और मजबूती आने की उम्मीद है क्योंकि देश में कई एक्यूट सेगमेंट में कंपनी को लीडरशिप पोजिशन हासिल है। क्रॉनिक सेगमेंट में एल्केम का बिजनेस छोटा है, लेकिन यह इंडस्ट्री की औसत ग्रोथ से कहीं तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी की कुल आमदनी में अमेरिकी बाजार का योगदान 26 पर्सेंट के करीब है। यह बिजनेस भी अच्छा परफॉर्म कर रहा है। नई दवाएं लॉन्च करने और मौजूदा दवाओं के मार्केट शेयर में बढ़ोतरी से अमेरिका में कंपनी की ग्रोथ तेज बनी रह सकती है। एल्केम के पास 60 एएनडीए (एब्रिविएटेड न्यू ड्रग एप्लिकेशंस) हैं, जो यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। इसलिए आने वाले वर्षों में वहां कंपनी कई नई दवाएं लॉन्च कर सकती है। वित्त वर्ष 2018-19 में कमजोर ग्रोथ की वजह से पिछले छह महीनों में कंपनी के शेयर प्राइस में 13 पर्सेंट की गिरावट आई है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स 11 पर्सेंट चढ़ा है और ईटी फार्मा इंडेक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालिया अंडरपरफॉर्मेंस की वजह से एनालिस्ट अब स्टॉक पर बुलिश हो रहे हैं। दूसरी मिड कैप दवा कंपनियों की तुलना में एल्केम के शेयर आकर्षक वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं, इसलिए यह लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए पैसा लगाने का बढिय़ा मौका है। भारतीय बाजार में कंपनी की ब्रांडेड दवाओं के स्टेबल परफॉर्मेंस और ग्लोबल बिजनेस में सुधार आने की उम्मीद को देखते हुए कहा जा सकता है कि कंपनी के शेयर सस्ते हैं। एल्केम को अच्छा कैश फ्लो भी मिल रहा है और उसके रिटर्न रेशियो भी बढिय़ा हैं।