नई दिल्ली। देश में ऑनलाइन दवा बेचने वाली कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। बिना रजिस्ट्रेशन वे दवाएं नहीं बेच सकेंगी। ऑनलाइन दवाएं बेचने वाली ई-फार्मेसी कंपनियों के नाम सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाएंगे।
इसके अलावा, सीडीएससीओ का एक लोगो भी इन कंपनियों के पोर्टल पर होगा। इससे असली-नकली की पहचान हो सकेगी। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. एस. ईश्वरा रेड्डी ने बताया कि देशभर में ई-फार्मेसी सालाना 3000 करोड़ रुपए का है। यह 100 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। इसलिए इसको रेगुलेट करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया है और 45 दिन के भीतर सभी स्टॉक होल्डर्स से राय मांगी गई है। डॉ. रेड्डी ने कहा कि ई-फार्मेसी कारोबार में खर्च कम है इसलिए उपभोक्ताओं को केमिस्ट शॉप की तुलना में 15 से 20 फीसदी सस्ती दवाएं मिलेंगी।
ऑनलाइन बिजनेस और डिजिटल पेमेंट होने से इस व्यवसाय में पारदर्शिता आएगी। सही-सही पता चल पाएगा कि कितनी कंपनियां इस व्यवसाय में लगी है और कितनी दवा की बिक्री ई-फार्मेसी के जरिए हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक देश में 200 से 300 छोटी और 10 से 15 बड़ी कंपनियां हैं जो ई-फार्मेसी के कारोबार में लगी हैं। ऑनलाइन दवा बेचने वाली कंपनियों को केंद्र/राज्य स्तर पर ड्रग्स डिपार्टमेंट में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। लाइसेंस लेने के लिए 50 हजार रुपए शुल्क देना होगा। लाइसेंस हर तीन साल में रिन्यू कराना होगा। इसके अलावा, केंद्र/राज्य सरकार के अधिकारी इन कंपनियों के स्टोर की जांच और छापेमारी कर सकेंगे। वहीं, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत आपराधिक कार्रवाई का भी विकल्प होगा।