नई दिल्ली। दवा कंपनियों के लिए जरूरी खबर है जो उनके व्यापार पर असर डालेगी। केंद्र की मोदी सरकार ने दवा कंपनियों और इंपोर्टर की मनमानी पर अंकुश लगाने का फैसला लिया है। सरकार के नए फैसले के तहत अब कोई भी दवा कंपनी एक साल में दवा या इक्यूपमेंट की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं कर सकेगी।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) की तरफ से जारी आदेश में साफ किया गया है कि अगर दवा कंपनियां इस आदेश का उल्लंघन करती हैं तो उनका लाइसेंस रद्द होगा। इतना ही नहीं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

एनपीपीए ने अपनी उस रिपोर्ट के बाद इस आदेश को जारी किया है, जिसमें खुलासा हुआ था कि निजी अस्पताल अपने यहां दवा के डिब्बों पर ज्यादा एमआरपी लिखवाते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं।

एनपीपीए ने बताया है कि फैसला सभी तरह की दवाओं पर लागू होगा फिर चाहे वह शेड्यूल ड्रग्स (कीमत पर सरकारी नियंत्रण) की लिस्ट में हो या नॉन शेड्यूल ड्रग्स (कीमत पर सरकारी नियंत्रण नहीं) की लिस्ट में हो। एनपीपीए के आदेश को लागू कराने और निगरानी का काम सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) को कराना है।