शिमला। नया साल दवा कंपनियों के लिए कोई खास राहत भरी खबर लेकर नहीं आया है। राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने दवा बनाने वाली कंपनियों के लिए सख्त आदेश जारी किए है।

एक तरफ नई दवाओं के मूल्य निर्धारण के लिए एनपीपीए ने दो बार अधिसूचना जारी की तो वहीं देशभर के कई फार्मा उद्योगों ने इन आदेशों पर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते अब नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग ऑथारिटी ने उक्त सभी फार्मा उद्योगों को अंतिम और फाइनल आदेश सुनाते हुए कड़ा आदेश दिया है।

एनपीपीए की तरफ से सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए सिर्फ सात दिन का समय दिया गया है। इन 7 दिनों में अगर उद्योगों ने नई दवाओं के दाम निर्धारण की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई तो वो दवा भारतीय बाजार में नहीं उतर सकेंगे।

आपको बता दे कि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग ऑथारिटी समय समय पर दवाओं के दामों को रिवाइज करती है, ताकि मरीजों तक सस्ती दवाएं पहुंच सके। हालांकि कुछ समय पहले भारत में लागू किए गए जीएसटी के बाद भी अनेकों दवाओं के मूल्यों में फेरबदल किए गए हैं। इसी कारण एनपीपीए सभी दवा उद्योगों से उनके दवाओं के मूल्यों की संपूर्ण जानकारी लेने की कोशिश में लगा है।