लखनऊ। नकली दवाओं का कारोबार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन इसपर रोक कैसे लगाई जाए ये बड़ी समस्या है। हालांकि कि अब दवा कारोबारियों की टास्क फोर्स अपने तरीके से नकली दवा कारोबारियों पर नकेल कसेगी। बता दें कि नकली दवाओं के बढ़ते कारोबार के खिलाफ दवा कारोबारियों ने एक नई पहल शुरू की है। इसमें रिटेलरों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। दवा कारोबारियों की टास्क फोर्स बनाई गई है, जो रिटेल आउटलेट का निरीक्षण कर दवा खरीद की जानकारी करेगी। जरूरत पड़ने पर औषधीय विभाग से कार्रवाई की सिफारिश भी करेगी। इसका फैसला रविवार को महानगर स्थित दवा विक्रेता वेलफेयर समिति कार्यालय में हुई।

समिति के अध्यक्ष विनय शुक्ला ने कहा कि ड्रग डिपार्टमेंट अपना काम कर रहा है। नकली दवाओं के काले धंधे के चलते हमारी साख पर सवाल उठ रहे हैं। ये भी सच है कि रिटेलर जागरूक नहीं हैं, इसलिए चार टीमें बनाई गई हैं, जो आठ जोन में निरीक्षण करेंगी। हर टीम में तीन-तीन सदस्य होंगे।समिति अध्यक्ष के मुताबिक, टास्क फोर्स ये देखेगी कि दवाएं अधिकृत स्टॉकिस्ट से खरीदी जा रही हैं या नहीं। हम उन्हें समझाएंगे कि वे दवा खरीद में सावधानी रखें। गड़बड़ी पाए जाने पर वे ही जिम्मेदार होंगे। यदि नहीं मानते हैं तो ड्रग विभाग को सूचना दी जाएगी।

दवा कारोबारी देवेंद्र पाल, मो. सलमान कहते हैं कि सरकार ने मुनाफा निर्धारित कर रखा है। 30 फीसदी से अधिक लाभ नहीं लिया जा सकता। ऐसे में 40 से 50 फीसदी के मुनाफे पर कोई दवा कैसे बेच सकता है। वह भी तब जबकि पीछे से माल नहीं आने से कच्चा माल महंगा होता जा रहा है। दरअसल अधिकृत डीलर से दवाएं न लेने के कारण कोई भी ये दावा नहीं कर सकता कि आई दवा असली है या नकली। दवा कारोबारी विजय शर्मा, अमित शुक्ल व इंद्रेश कहते हैं कि ऑनलाइन ट्रैकिंग का कोई सिस्टम नहीं है और मनमाने डिस्काउंट पर दवाएं बेची जा रही हैं।

समिति ने जारी की गाइडलाइन
दवाओं के लाट आएं तो बिल-बैच नंबर जरूर मिलाएं। अधिकृत स्टॉकिस्ट से ही दवाएं खरीदें। ब्रांडेड कंपनियां 10 फीसदी से अधिक आफर नहीं करतीं, यदि ऐसा हो रहा है तो संदेह जरूर करें, समाधान भी तलाशें। नकली या असली दवा का प्रमाण तो लैब जांच के बाद ही होता है, लेकिन अनुभव के आधार पर कारोबारी कहते हैं कि गोली का रंग और पैकिंग अक्सर असली से एकदम मेल नहीं खाते हैं। कस्टमर कई बार शिकायत लेकर आए कि दवा की गोली टूटती नहीं या फिर उलटी के साथ पूरी बाहर आ गई। दवा का न घुलना भी नकली होने का शक पैदा करता है।