अलवर। सरकार ने जिन दवाओं की बिक्री पर विशेष तौर पर प्रतिबंध लगा रखा है, मेडिकल स्टोर संचालक उन्हें धड़ल्ले से बेच रहे हैं। कई ऐसी दवाएं हैं जिन्हें डॉक्टर की पर्ची के बगैर नहीं बेचा जा सकता। क्षेत्र के ज्यादातर दवा दुकानदार मरीज से पर्ची देखे बिना ही ये दवाएं बेच रहे हैं, साथ ही इन दवाओं का बिल भी नहीं देते। ये शैड्यूल एच और एच-1 की वे दवाएं हैं जो बिना डॉक्टर की पर्ची के दुकानदार बेच नहीं सकते। नियम यह है कि दुकानदार को बेची गई इन दवाओं का बिल देना होता है और इसका रिकॉर्ड भी अपने पास रखना होता है। लेकिन असल में ऐसा हो नहीं रहा है। निगरानी अधिकारी भी मिलीभगत के चलते ऐसे दवा व्यापारियों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। सहायक औषधि नियंत्रक ओपी यादव यह दावा करते हैं कि पिछले पांच-छह महीने में डीसीओ की फील्ड से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है, जिसमें यह साबित हो कि शहर में दवा की दुकानों पर अवैध रूप से गर्भपात की दवा या अन्य प्रतिबंधित दवा बिक रही हो। शैड्यूल एच की औषधि होने के कारण बिना डॉक्टर परामर्श के बेचते पाए जाने पर औषधि विक्रेता का लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। जबकि वास्तविकता यह है कि प्रतिबंधित दवाएं डॉक्टर के परामर्श बिना ही बेची जा रही हैं। सहायक औषधि नियंत्रक कार्यालय से महज 400 मीटर की दूरी पर स्थित कुछ दुकानों पर गर्भपात की 100 रुपए की गोली के पैकेट 300 रुपए में बिकते पाए गए हैं।

इन दवाओं की खुली बिक्री पर है प्रतिबंध

मिसोप्रोस्टोल एंड मिफेप्रिस्टोन : ये गर्भपात के लिए प्रयोग में ली जाती हैं, लेकिन डॉक्टर के परामर्श के बाद। डॉक्टर की सलाह बिना इस दवा के सेवन से महिला को जान का जोखिम भी हो सकता है।

ऑक्सीटोसिन : इस प्रतिबंधित इंजेक्शन का इस्तेमाल दुधारू पशुओं का दूध निकालने में हो रहा है। जिले में इस इंजेक्शन का बड़ा कारोबार है। सब्जियों की ज्यादा और जल्दी पैदावार में भी इसका प्रयोग हो रहा है। इसी कारण इस इंजेक्शन की मांग सर्वाधिक है। ये मानव शरीर के लिए घातक है। इससे नपुंसकता और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

कोरेक्स : यह खांसी की दवा है, लेकिन कई लोग इसका उपयोग नशे के लिए करते हैं। ज्यादा डोज लेने पर शरीर में नशा होने लगता है और शारीरिक क्षमता कम होती जाती है। सोचने-समझने की क्षमता भी कम हो जाती है।

कोडीन और फेंसीडिल : ये भी खांसी की दवाएं हैं, जो बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं दी जा सकती। ये दवाएं भी शरीर को नशे के कारण शिथिल करती हैं और नपुंसकता बढ़ाती हैं।

फोर्टविन फेनार्गन : ये इंजेक्शन जीवन रक्षक दवाओं में शामिल हैं। असहनीय दर्द, उल्टी, एक्सीडेंट आदि के मरीजों को दिया जाता है। इसका उपयोग लोग नशे में कर रहे हैं। ड्रिप की तरह लेने से ज्यादा नशा होता है। इसके लगातार लेने से शारीरिक अक्षमता बढ़ती है।