नई दिल्ली। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सभी राज्यों के औषधि नियामकों को चुनिंदा एंटीबायोटिक एवं मानसिक रोगों के इलाज में काम आने वाली एंटी-साइकियेट्रिक दवाओं के विनिर्माताओं को उत्पाद के साथ इनके नए दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसका उद्देश्य ऐसे चुनिंदा दवाओं के नये दुष्प्रभावों के प्रति लोगों एवं चिकित्सकों को जागरूक करना है, जिन्हें चुनिंदा स्थितियों में बार-बार सुझाया जाता है।
गौरतलब है कि इंडियन फार्माकोपोइया कमिशन (आईपीसी) ने चुनिंदा दवाओं के इस्तेमाल से संबंधित दुष्प्रभावों का आकलन कर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को नियामकीय दखल के लिए इस बारे में रिपोर्ट दी थी। यह कदम इसी आधार पर उठाया गया है। डीसीजीआई द्वारा भेजे गये पत्र के अनुसार, सेफोटैक्साइम जैसे आम इस्तेमाल के एंटी-बायोटिक से एंजियोएडीमा, सूजन जैसे दुष्प्रभाव होते हैं। इसी तरह सेफीक्सिम के इस्तेमाल से बुखार और ल्युकोसाइटोसिस जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। ओफ्लॉक्सासिन से स्टीवन्स-जॉनसन्स सिंड्रोम, शिजोफ्रेनिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाले क्वेटियापाइन से पेशाब संबंधी दिक्कतें तथा सोडियम वालप्रोएट से मसूड़ों में हाइपरप्लेसिया जैसे दुष्प्रभाव होते हैं। डीसीजीआई ने कहा कि दवाओं के साथ अभी भी दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाती है, लेकिन इनमें नये दुष्प्रभाव भी शामिल किये जाने चाहिए।