डेढ़ माह बाद भी चिकित्सकों का पैनल नहीं सौंप सका जांच रिपोर्ट

Blood

नारनौल
राज्य में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी द्वारा सरकारी अस्पताल में ही दान किए गए खून को तीन हजार रुपये में बेचे जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। खरीद-फरोख्त के इस ‘खूनी’ खेल की सूचना जैसे ही स्वास्थ्य विभाग फैली तो हडक़ंप मच गया। सीएमओ ने जांच बैंठा दी है, लेकिन जानकारी मिल रही है कि यह कारनामा जन विरोध का मुद्दा बन सकता है और यदि ऐसा हुआ तो सरकार की काफी किरकिरी होगी। एक यूनिट के बदले में 3 हजार रुपए तक पैसा कमाने के स्वास्थ्य कर्मचारियों के इस खेल ने स्वास्थ्य विभाग को लज्जित कर दिया है। मामला जनवरी महीने का है, जिसकी जांच रिपोर्ट डेढ़ माह बाद मार्च के दूसरे सप्ताह होने तक नहीं आई। नारनौल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक ने ऐसा होने की बात तो स्वीकारी है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि किसी ने इस बाबत लिखित शिकायत नहीं दी, केवल मौखिक तौर पर आरोप लगाया है, जिसके आधार जांच बैठाई गई है। तीन चिकित्सकों की जांच कमेटी की रिपोर्ट में यदि मामला सही पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

बता दें कि नारनौल के नागरिक अस्पताल में ब्लड बैंक है। इस बैंक में 300 से 350 यूनिट रखने की क्षमता है। आपातकालीन सेवा के लिए 50 यूनिट कम से कम ब्लड बैंक में रखा ही जाता है। रक्तदान वह होता है, जब एक स्वस्थ मानव स्वेच्छा से रक्त देता है ताकि खून की कमी से किसी की जान न जाए। इसके लिए रेडक्रास सोसायटी, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठन आए दिन ब्लड डोनेशन कैंप लगवाते है। जिले में कई लोग तो ऐसे है जो स्वेच्छा से ब्लड बैंक में जाकर रक्त दान करते है। उनका मानना है कि रक्त से बड़ा कोई दान नहीं होता।

कुछ ऐसे है मामला
लड ग्रुप-बी की दो यूनिट (1 यूनिट में 350 एमएल) 24 जनवरी को डोनेट की गई। इन दो यूनिट का डोनेट नं. 165 व 171 था। इन डोनेट नं. 165 व 171 की दोनों यूनिट को बेचने का आरोप है। दोनों यूनिट को 3 हजार-3 हजार रुपये में बेचा गया। नियम है कि पहले पुरानी तिथि की यूनिट को एक्सपायरी डेट से पहले दिया जाता है। नई यूनिट को रखा जाए। किंतु इस खेल में खून बेचने वाले खिलाडिय़ों ने इस खामी की तरफ ध्यान नहीं दिया। रक्तदान होने के अगले ही दिन उसे बेच दिया गया।