मुंबई। नैटको फार्मा ने दिल की बीमारी के इलाज की दवा वैल्साट्रेन सैकुबिट्रिल देश में लॉन्च कर स्विट्जरलैंड की फार्मा कंपनी नोवार्टिस को टक्कर दी है। नैटको ने यह दवा अपने ब्रांड नाम वैलसैक के साथ लॉन्च की है, जबकि नोवार्टिस को भारत में पेटेंटेड ब्रांड वायमाडा के तहत बिक्री करती है। नोवार्टिस को इससे अच्छी आमदनी हो रही है। वह नैटको को पेटेंट पर घेर सकती है। इस दवा का इस्तेमाल दिल की बीमारी में मौत का जोखिम कम करने के लिए किया जाता है। इससे रक्त धमनियों को आराम मिलता है। नोवार्टिस अमेरिका और अन्य देशों में इसी दवा को एंट्रेस्टो के ब्रांड नाम से बेचती है। नैटको ने बताया कि 50 द्वद्द और 100 द्वद्द स्ट्रेंथ में दवा का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) क्रमश: 45 और 55 रुपये प्रति टैबलेट है।
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी की फार्मा सही दाम ऐप के अनुसार, वायमाडा (24/26) की 14 टैबलेट के पैक की कीमत 977.50 रुपये है। ल्यूपिन और सिप्ला भी यह प्रॉडक्ट इसी कीमत पर बेच रही हैं। पेटेंट एक्सपट्र्स का कहना है कि नैटको के दवा लॉन्च करने को नोवार्टिस अदालत में पेटेंट कानून के तहत चुनौती दे सकती है। वैल्साट्रेन सैकुबिट्रिल का सबसे पहला पेटेंट 2023 में खत्म होगा। इस बारे में नोवार्टिस के प्रवक्ता ने बताया कि हमें पता है कि नैटको ने वैल्साट्रेन सैकुबिट्रिल लॉन्च किया है। कंपनी अभी देख रही है कि क्या करना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि नैटको ने इस दवा को लॉन्च करके नोवार्टिस के साथ कड़े मुकाबले का संकेत दिया है। देश की अधिकतर बड़ी फार्मा कंपनियों ने हाल के वर्षों में बिजनेस की अपनी आक्रामक रणनीति को छोडक़र ग्लोबल फार्मा कंपनियों के साथ हाथ मिलाया है। डोमेस्टिक और विदेशी फार्मा कंपनियां भारत में टॉप ब्रांड्स बेचने के लिए एक साथ आ रही हैं। नोवार्टिस एंट्रेस्टो को एक बड़ी सफलता मानती है। इस वजह से उसकी ओर से नैटको को कानूनी चुनौती देने की अधिक संभावना है। इस दवा की 2017 में दुनिया भर में बिक्री लगभग 50 करोड़ डॉलर की थी। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि 2018 में यह आकंड़ा लगभग दोगुना हो सकता है और 2022 तक 2.2 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। इससे पहले कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा ग्लिवेक को लेकर नोवार्टिस और नैटको (सिप्ला के साथ) के बीच पेटेंट को लेकर लंबा कानूनी विवाद हुआ था।