झज्जर। हरियाणा के झज्जर स्थित देश के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल-नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट में ओपीडी सेवाएं शुरू हो गई हैं। यह पिछले कई दशकों में भारत का सबसे बड़ा पब्लिक फंड से बना हॉस्पिटल प्रोजेक्ट है। इसे 2035 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को यह अस्पताल चलाने का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने बताया है कि 710 बेड्स के इस अस्पताल का निर्माण कार्य खत्म हो गया है। मध्य जनवरी से पब्लिक के लिए इंडोर एडमिशन भी कुछ चरणों में शुरू कर दिए जाएंगे। यह अस्पताल तीन चरणों में शुरू होगा। एक साल के बाद यह पूरी तरह से संचालित होने लगेगा। पहले चरण के लिए 634 डॉक्टर, नर्स और टेक्नीशन्स चाहिए, जिनमें से 110 को नियुक्त कर लिया गया है और बाकी स्टाफ को रखा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट से दिल्ली एम्स के कैंसर अस्पताल का बोझ कम होगा। झज्जर परिसर मुख्य एम्स से करीब 50 किमी दूर है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वे दोनों परिसरों के बीच सेवाओं का समन्वय करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने के बारे में प्लान बना रहे हैं। जैसे दोनों ही परिसरों के लिए मरीजों को एक यूनीक आईडी दी जाएगी। मुख्य एम्स के रोटरी कैंसर अस्पताल में चीफ ऑफ इंस्टिट्यूट डॉ. जीके रथ इस अस्पताल की अध्यक्षता करेंगे। सूत्रों के मुताबिक एक्सटर्न रेडिएशन में इस्तेमाल होने वाले दो लीनियर एक्सलरेटर 48 करोड़ की कीमत पर खरीदे जा चुके हैं। साथ ही सीटी स्कैन और एक्स रे मशीन भी खरीदी जा चुकी हैं। एक लैब भी तैयार है तो हर दिन 60 हजार सैंपल प्रोसेस कर सकेगी। एक बार पूरी तरह से संचालित होने पर यह अस्पताल पूरे देश में कैंसर केयर के लिए एक नोडल संस्थान के रूप में काम करेगा।