बरेली। नकली ऑक्सीटोसिन बनाकर बेचने का मामला सामने आया है। बता दें कि 90 रुपये में नकली ऑक्सीटोसिन बनाकर पांच सौ का मुनाफा कमाते थे। दरअसल किला पुलिस ने नकली ऑक्सीटोसिन बनाने के दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया। ये लोग आगरा और अलीगढ़ से केमिकल लाकर नकली ऑक्सीटोसिन बनाकर पूरे शहर की डेयरियों पर सप्लाई करतेे थे। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि शहर मेें कई जगह ये धंधा चल रहा है, अब पुलिस उन्हें दबोचने की तैयारी में है। एएसपी साद मियां खां ने प्रेसवार्ता में बताया कि गुलाम नवी ड्राइवर है।
वह पहले किराये की गाड़ी चलाता था, फिर अपनी गाड़ी ले ली। ये लोग यहां से सवारी लेकर अलीगढ़ व आगरा जाते थे और वहां केमिकल लाकर प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन जैसा पदार्थ बनाते थे। केमिकल युक्त रंग मिलाकर ऑक्सीटोसिन जैसा पांच लीटर द्रव्य बनाकर छह सौर रुपये में बेचते थे जबकि इसे बनाने में 90 रुपये का खर्च आता था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि शहर में उनकी तरह कई और धंधेबाज नकली ऑक्सीटोसिन बना रहे हैं। तो वहीं वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. बागीश वैश ने बताया कि इस तरह निकाला गया दूध लोगों के शारीरिक विकास पर दुष्प्रभाव डालता है। खासकर बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है।
सूखा जैसे रोग भी हो सकते हैं। इसलिए दूध खरीदते वक्त खास सावधानी बरतनी चाहिए। फलों और सब्जियों में भी इसके इस्तेमाल के घातक परिणाम मिल रहे हैं। साथ ही मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. ललित वर्मा का कहना है कि देशव्यापी समस्या के समाधान के लिए सरकार काफी पहले ही ऑक्सीटोसिन प्रतिबंधित कर चुकी है। यह किसी मेडिकल स्टोर पर भी नहीं मिलता। महिलाओं में प्रसव पीड़ा कराने को ही इसका वैधानिक रूप से इस्तेमाल होता है। बताया कि गलत तरीके से बनाया गया ऑक्सीटोसिन और भी खतरनाक हो सकता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से पशुओं का गर्भाशय सिकुड़ जाता है और वे बांझ हो जाते हैं। बता दें कि गढ़ी चौकी प्रभारी अजय शुक्ला के नेतृत्व में किला पुलिस ने चौधरी तालाब मोहल्ले में सूफियान के घर दबिश देकर सूफियान व गुलाम नवी को गिरफ्तार किया था। यहां से एक व्यक्ति भाग भी गया था।
पुलिस को मौके से नकली ऑक्सीटोसिन और उसे बनाने के केमिकल बरामद हुए। इसमें चार सौ ग्राम की फिनायल की 61 सफेद रंग की शीशी मिलीं, जिन पर साफतौर से जहर लिखा था। साथ ही 24 सफेद रंग की शीशी मिलीं, जिन पर ऑक्सीटोसिन लिखा था। इसी तरह की 87 शीशी में हरे रंग का केमिकल भरा था। इनके अलावा नकली इंजेक्शन की शीशी, एसिटिक एसिड, ग्लेशियल भी बरामद किया गया। सारा माल सील कर पुलिस ने आईवीआरआई से जांच कराने के लिए सैंपल भी लिया है।धंधेबाजों ने बताया कि शहर की करीब 90 फीसदी डेयरियों पर नकली ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल करके जानवरों का दूध निकाला जा रहा है। ऑक्सीटोसिन प्रतिबंधित है, इस वजह से इसकी खूब मांग है। बछड़े को गाय भैंस के पास छोड़ना, चारा खिलाने जैसे काम में समय लगता है जबकि इंजेक्शन से कुछ ही देर में सारा दूध आसानी से निकल जाता है।
यही वजह है कि डेयरी संचालक नुकसान न देखकर इसका इस्तेमाल करते हैं। इसकी मांग इतनी रहती है कि पूरा करना भी मुश्किल हो जाता है। गढ़ी चौकी प्रभारी अजय शुक्ला को काफी समय से घरों में ऑक्सीटोसिन बनाने व बेचने की जानकारी मिल रही थी लेकिन सबूत के अभाव में कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। किला चौकी प्रभारी सनी चौधरी के साथ उन्होंने सादा कपड़ों में घर चिह्नित कर खुद ग्राहक बनकर खरीदारी की। इन लोगों को सौ रुपये में एक लीटर की पानी की बोतल में भरा केमिकल दिया गया था। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि सब्जियों का आकरा बढ़ाने में भी उनके इस नकली ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल होता है। कई किसान इसे थोक में खरीदते हैं। वह इसे लौकी, तोरई, कद्दू में लगाते हैं। इससे कुछ ही समय में उसका आकार और चमक बढ़ जाती है।