जयपुर। प्रदेश में नकली और अमानक दवाओं का धंधा जोरों पर चल रहा है, जबकि ड्रग विभाग गहरी नींद में सो रहा है। हालात इस कदर खराब हो चले हैं कि बीते दो साल में जयपुर में ही अमानक दवाओं के 120 मामले सामने आए, लेकिन ज्यादातर मामलों में औषधि नियंत्रण विभाग ने कोई रुचि नहीं दिखाई। इसके चलते अमानक दवा निर्माता कंपनियां धड़ल्ले से ऐसी दवाओं का कारोबार कर रही है। स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि इस धंधे में संलिप्त दवा कंपनियों को सांठ-गांठ के चलते कार्रवाई से बचाया जा रहा है।
गौरतलब है कि औषधि नियंत्रण संगठन ने वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2017 तक राजधानी जयुपर में दवा की दुकानों से दवाओं के नमूने लिए। इन नमूनों में से 120 से ज्यादा दवाएं अमानक घोषित की गई। लेकिन जब अमानक दवाओं को बनाने वाली निर्माता कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही की बात आई तो औषधि नियंत्रक बैक फुट पर आता दिखा। औषधि नियंत्रण संगठन ने 90 मामलों में अभियोजन स्वीकृति ही नहीं दी। अगर अभियोजन स्वीकृति मिलती तो अवमानक दवाएं बनाने वाली निर्माता कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती और कानूनी कार्यवाही भी होती। लेकिन ये मामले अंडर इनवेस्टीगेशन ही है।