जबलपुर। मेडिकल स्टोर संचालक दवा बेचने की आड़ में नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। शहर में एक मेडिकल स्टोर पर एकसा ही मामला सामने आया है। यहां नशे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन को डॉक्टर की पर्ची के बिना ग्राहकों को बेचा जा रहा था। इस मामले को लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की। अधिकारियों ने महानद्दा के सुख सागर कॉम्प्लेक्स स्थित दवा दुकान मेडी प्वाइंट का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। लम्बी जांच-पड़ताल के बाद ड्रग इंस्पेक्टर मेडी प्वाइंट पहुंचे। संचालक को नोटिस जारी कर दुकान को सील कर दिया। दुकान संचालक ने कार्रवाई का विरोध किया। दवा कारोबारी और अधिकारियों के बीच तनाव की स्थिति भी निर्मित हुई। विभागीय जांच में सामने आया कि दवा दुकान से अवैध रूप से 10 एमएल के एविल इंजेक्शन बेचे जा रहे थे। दवा कारोबारी के पास इन इंजेक्शन के बिल भी नहीं थे। इंजेक्शन का नशे के लिए उपयोग करने और दुकानों से अवैध तरीके से बिक्री की शिकायतें मिल रही थीं।
एविल इंजेक्शन की अवैध बिक्री का मामला तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने पकड़ा था। छह फरवरी को मेडिकल मार्केट से लौट रहे एसपी को मेडी प्वाइंट दुकान पर एक संदिग्ध युवक नजर आया। उन्होंने दबिश दी तो गोरखपुर निवासी एक युवक को डॉक्टर के पर्चे के बिना एविल इंजेक्शन बेचते हुए दवा कारोबारी को पकड़ा गया। गोरखपुर पुलिस ने जांच की तो दुकान से बैच नंबर 2418095 के 24 एविल इंजेक्शन बरामद हुए। इनका क्रय-विक्रय का बिल मांगने पर कारोबारी ने प्रस्तुत नहीं किया। इसके बाद गोरखपुर थाने ने मामले की जांच की। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने ड्रग रूल 66(1) के तहत मेसर्स हंसराज आदित्यराज मेडीप्वाइंट के प्रोप्राइटर जयंत ग्रोवर को 20 मार्च को कारण बताओ नोटिस जारी किया। कारोबारी ने जवाब में बैच नम्बर 2418095 के एविल इंजेक्शन का विक्रय बिल प्रस्तुत नहीं किया। दवा कारोबारी के संतोषजनक जवाब पेश नहीं करने पर ड्रग रूल 65(4)(3)(1)(2) का उल्लंघन पाया गया। ड्रग इंस्पेक्टर राधेश्याम के अनुसार यह इंजेक्शन डॉक्टर के पर्चे के बिना बेचना प्रतिबंधित है। ड्रग एवं कास्मेटिक रूल 1945 के नियम 66(1) के तहत दवा दुकान का ड्रग लाइसेंस निरस्त किया गया है।