रोहतक। नागरिक अस्पताल स्थित नि:शुल्क दवा वितरण केंद्र और बाहर बने जन औषधि केंद्र का जरूरतमंद मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, अस्पताल के डॉक्टर बाहर खुली कैमिस्ट शॉप के संचालकों से मिलीभगत कर ऐसी दवाइयां लिखते हैं, जो केंद्र पर नहीं मिलती। ये दवाएं केवल अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर पर ही उपलब्ध होती हैं। मजे की बात तो ये है कि अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को पर्ची पर लिखी दवाइयां बाहर से खरीदने के बाद उन्हें दिखा लेने का जोर भी देते हैं। उनके इस खेल में डॉक्टर व स्टोर संचालकों की जेब गर्म हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर मरीजों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में भी ये मामला होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि सीएमएस का कहना है कि बाहर की दवाएं लिखने वालों पर कार्रवाई की जाएगी
गौरतलब है कि सरकार ने जरूरतमंद मरीजों को आर्थिक मदद देने के लिए नि:शुल्क दवा वितरण केंद्र की स्थापना की है। नागरिक अस्पताल के बाहर ही जन औषधि केंद्र भी है। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना लगभग 1200 मरीज आते हैं। बदलते मौसम में बीमारियां बढऩे के कारण इन दिनों मरीजों की संख्या बढक़र डेढ़ हजार के आसपास हो गई है।
डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों के गठजोड़ की बात करें तो डॉक्टर मरीजों को सामान्य बीमारियों की तो ऐसी दवा लिखते हैं, जो अस्पताल के दवा वितरण कक्ष से नि:शुल्क मिल जाएं, लेकिन गंभीर रोगों की वही दवा लिखते हैं, जो दवा वितरण कक्ष के साथ जन औषधि केंद्र पर भी नहीं मिलें। हालांकि, जन औषधि केंद्र पर मौजूद दवाओं का फार्मूला उन दवाओं से मिलता-जुलता है, जो बाहर से लाने के लिए लिखी जाती हैं। डॉक्टर बाहर की दवाएं इसलिए लिखते हैं क्योंकि, उनका स्टोर संचालकों के साथ ही एमआर से भी कमीशन तय होता है। कुछ दवाएं तो ऐसी भी लिखी जाती हैं, जो चुनिंदा स्टोर पर ही मिलती हैं। अस्पताल के दवा वितरण केंद्र पर छह सौ प्रकार की दवाएं मौजूद हैं। फार्मूला वही होने के बाद भी यह दवाएं नहीं लिखी जा रही हैं। मानों यह सभी दवाइयां बेकार हों।
काफी कम है इन दवाओं की कीमत
जन औषधि केंद्र पर मौजूद दवाओं की कीमत बाहर दुकानों पर बिकने वाली दवाओं के मुकाबले 50 से 90 प्रतिशत तक कम है। ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियों की दवाओं में 90 प्रतिशत तक का फर्क है। एंटीबायोटिक दवाएं भी यहां स्टोर पर मिलने वाली दवाओं की अपेक्षा 50 फीसदी कम कीमत पर मिलती हैं। कहा जा सकता है कि ऐसी कोई भी दवा नहीं है, जो बाहर की अपेक्षा यहां काफी किफायती दाम पर नहीं मिलती हो। डॉक्टर मरीज को इतना बहका देते हैं कि वह अस्पताल के दवा वितरण केंद्र या औषधि केंद्र के बजाए प्राइवेट स्टोर से ही दवा खरीदना ठीक समझता है।
सीएमओ का कहना है
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि नागरिक अस्पताल के सभी डॉक्टरों को साफ निर्देश दिए गए हंै कि वे बाहर की दवाइयां नहीं लिखें। यदि कोई दवा अस्पताल के दवा वितरण कक्ष या जन औषधि केंद्र पर नहीं है तो इसकी जानकारी दी जाए, तत्काल डिमांड भेजी जाएगी। बाहरी दवाएं लिखने वालों पर कार्रवाई करेंगे।