वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में नियमोंं को अनदेखा कर दवा खरीदी गई थी। आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है। बताया गया है कि जिस कंपनी से दवा खरीदी गई थी, उसका लाइसेंस दो साल पहले ही कैंसिल हो चुका था। इसके बावजूद न सिर्फ उसी कंपनी से दवा खरीदी गई बल्कि टेंडर की निर्धारित प्रक्रिया को भी अनदेखा कर दिया गया। गौरतलब है कि बीते साल जून महीने में अस्पताल में इलाज के दौरान 9 मरीजों की मौत के बाद मामला संज्ञान में आया था। अब नवनियुक्त वीसी ने इसकी फाइल तलब की गई है। बताया जा रहा है कि आरोपी दवा कंपनी के मालिक इलाहाबाद क्षेत्र के भाजपा के एक विधायक के पुत्र हैं। ऐसे में पुलिस से लेकर बीएचयू प्रशासन तक उनको जांच से बचाने की कोशिश में जुटा है।
हालांकि, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त एके जैन ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि बीएचयू अस्पताल में उस समय इस्तेमाल की जाने वाली नॉन फार्मकोपियल ग्रेड की नाइट्रस ऑक्साइड औषधि की श्रेणी में आती ही नहीं है। वहीं, दूसरी ओर आरटीआई कार्यकर्ता हरिकेश बहादुर सिंह को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि संबंधित दवा कंपनी का लाइसेंस दो साल पहले ही स्थगित कर दिया गया था। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर किसकी शह पर गैरकानूनी तरीके से बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल में नाइट्रस ऑक्साइड की आपूर्ति होती रही। इसकी जानकारी सर सुंदरलाल अस्पताल के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर तत्कालीन कुलपति तक को थी लेकिन किसी ने उंगली नहीं उठाई। अब मामला सामने आने पर बीएचयू के प्रशासनिक अमले में हडक़ंप मचा है।