नीमच। अब नीमच में करीब 51 करोड़ रुपये की लागत से औषधि मंडी विकसित होगी। इसके लिए राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद अब आयुष विभाग ने मंजूरी दे दी है। दरअसल कृषि उपज मंडी के सचिव -सतीश पटेल ने बताया कि मंडी को औषधि मंडी के रूप में विकसित किए जाने के संबंध में प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही दिल्ली से सर्वे टीम आएगी और औषधि मंडी की कार्रवाई आगे बढ़ेगी। साथ ही कलेक्टर -जितेंद्र सिंह राजे ने बताया कि जिला औषधि और मसाला उत्पादन में विशेष पहचान रखता है। मंडी को औषधि मंडी के रूप में विकसित करने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। इसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर तक होगी।
गौरतलब है कि यहां 36 से अधिक तरह की औषधि उपज बिकने के लिए आती हैं। इनमें प्रमुख रूप से कलौंजी, तुलसी बीज, असालिया, सुवा, शतावरी, तारामीरा, क्यूनोवा, फुफाड़िया, अजवाइन, तुलसी पत्ता, चिरायता बीज, असंगध बीज, डोलमी, आंवला गुठली, कोच बीज, स्टोवा, मेहंदी, पीली सरसों, अरंडी, सफेद मूसली, असंगध पुष्पी, नीम, फुफुलिया बीज, कंठीली, धमुका, शंख पुष्पी, अडूसा, हिगोरिया, गुडबेल, अमल तास, वन तुलसी, लेडी पिपल, अगस्ते, काली तुलसी, हर्रा, बहेडा, अशोक, खमूर, अर्जुन, बबुल, सु-बबुल, ब्रम्ही, असगंध पत्ती, कुसुम, नीम ग्लोई, अमलतास, स्टीवा और ग्वार पाठा शामिल है।बतादे कि जल्द ही केंद्र व आयुष मंत्रालय दिल्ली से एक सर्वे दल यहां पहुंचेगा और अपनी सर्वे रिपोर्ट विभाग को सौंपेगा। इसके बाद आयुष मंत्रालय मंडी संचालन के लिए अनुदान भी देगा। उल्लेखनीय है कि ए-ग्रेड व बड़ी मंडी में प्रतिदिन 15 से 20 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसमें 50 प्रतिशत औषधीय उपज का कारोबार होता है। इस महत्व को देखते हुए संयुक्त संचालक कृषि, उपज मंडी उज्जैन और राज्य सरकार के कृषि मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार और उनके आयुष मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा। इस प्रस्ताव पर केंद्र आयुष मंत्रालय ने भी मंजूरी दे दी है। पूर्व में मंडी के सचिव और मंडी बोर्ड के अन्य अधिकारी इस प्रस्ताव के संबंध में नई दिल्ली में प्रजेंटेशन दे चुके हैं। जल्द ही इस संबंध में दिल्ली से सर्व दल आ सकता है। चंगेरा और डूंगलावदा में विकसित हो रही नई मंडी परिसर में औषधि मंडी परिसर भी विकसित किया जाएगा।