लखनऊ। नॉनवेज खाने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है। मछली-मीट आदि का सेवन करने वाले लोगों पर एंटीबायोटिक दवा अपना असर नहीं दिखा पाती। केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने यह खुलासा किया है। उनका कहना है कि नॉनवेज खाने वालों पर एंटीबायोटिक दवाएं फेल हो रही हैं। केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा के अनुसार मौजूदा समय में पशुपालक कमाई के लालच में मुर्गी समेत दूसरे जानवरों को तंदुरुस्त बनाते हैं। इसके लिए वे एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवाई दे रहे हैं। इंजेक्शन लगाकर भी उन्हें तंदुरुस्त बनाया जा रहा है। ये दवा खून में जाकर मुर्गा, मछली समेत दूसरे जानवरों का वजन और आकार तेजी से बढ़ा देती है। इन दवाओं का दुष्प्रभाव इंसानों पर पड़ रहा है। लोगों में इन दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है। नतीजतन, जरूरत पडऩे पर जब मरीज को ये एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हंै तो उन पर ये असर ही नहीं करती हैं। डॉक्टर एंटीबायोटिक बदलते हैं, दूसरी देते हैं लेकिन वो एंटीबायोटिक भी फायदा नहीं करती। डाक्टरों ने इस संबंध में सलाह दी है कि सदैव दवाओं के प्रति संजीदा रहें। डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक लेनी चाहिए और साफ-सफाई के प्रति भी गंभीर रहें।