ग्वालियर
फैंसीडिल कफ सीरप की ग्वालियर -चंबल संभाग से हो रही तस्करी को रोकने के लिए औषधि प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा। इसकी एक वजह यह है कि डेढ़ माह से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी न तो किसी भी सैंपल की रिपोर्ट आई है। और न सीरप बनाने वाली कंपनी ने ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा मांगी गई जानकारी भेजी है। नतीजन, औषधि प्रशासन और पुलिस प्रशासन इस मामले की तह तक नहीं पहुंच पा रहा है।
संभाग से फैंसीडिल कफ सीरप बंगलादेश तक भेजी जाती है। इस बात का प्रमाण पुलिस को तब मिला था जब करीब आठ माह पहले पुलिस ने नकली नोट खपाने वाले चार लोगों को पकड़ा था। इनमें से दो बंगलादेश की सीमा से सटे मांलदा पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे। बदमाशों ने पूछताछ के दौरान यह बात कबूली थी कि ग्वालियर से फैंसीडिल कफ सीरप को बंगलादेश भेजा जाता है। और वहां से नकली नोट आते हैं। बहोड़ापुर पुलिस ने 1 नवंबर को ग्वालियर के दवा विक्रेता परमानंद ट्रेडर्स द्वारा दिल्ली भेजी जा रही तथा 23 नवंबर को मुरैना से ग्वालियर लाई जा रही 5 -5 लाख से अधिक की फैंसीडिल कफ सीरप पकड़ी थी। 5 नवंबर को दौलतगंज में भी कफ सीरप पकड़ी थी,जो बाद में व्यापारी द्वारा पूरे दस्तावेज दिखाने पर छोड़ दी गई थी। बहोड़ापुर में पकड़ी गई कफ सीरप के सैंपल की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है। दिल्ली के व्यापारी ने पत्र भेजकर भेजकर कहा है कि उसने दवा मंगवाई थी।
23 नवंबर को पकड़ी गई फैंसीडिल में नारकोटिक्स एक्ट के तहत बहोड़ापुर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इस मामले दवा विक्रेता सहित दो लोग पकड़े गए थे,जो बाद में जमानत पर छूट गए थे। दवा विक्रेता ने पुलिस के सामने पत्र लिखा था जिसमें लिखा था कि वह कंपनी को वापस भेज रहा था। इसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर संजीव जादौन ने फैंसीडिल बनाने वाली इंदौर की दवा कंपनी को नोटिस जारी कर इसकी जानकारी मांगी थी,लेकिन दवा कंपनी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना है कि फैंसीडिल कफ सीरप के सैंपल की रिपोर्ट आई नहीं है। दवा कंपनी को पुन: नोटिस जारी किया जा रहा है।