कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले संदिग्ध रेमडेसिविर इंजेक्शन की बड़ी खेप पंजाब के रोपड़ के गांव सलेमपुर के पास भाखड़ा नहर से मिली है। इसके साथ ही सरकारी सप्लाई वाले एंटीबायोटिक इंजेक्शन सैफापेराजोन की खेप भी नहर से मिली है। जानकारी के अनुसार गांव सलेमपुर निवासी भाग सिंह ने भाखड़ा नहर में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की खेप देखी तो इसकी सूचना पुलिस व स्वास्थ्य विभाग को दी, जिसके बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे।

भाग सिंह के अनुसार इंजेक्शन नहर में बह रहे थे, जिसे देख वह हैरान रह गए। स्वास्थ्य विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर तेजिंदर सिंह ने बताया कि रेमडेसिविर के करीब 671 इंजेक्शन मिले हैं, जबकि शुरुआती जांच में ये नकली लग रहे हैं। लेकिन इसकी पुष्टि के लिए जांच चल रही है। इस दौरान 1456 से भी अधिक एंटीबायोटिक इंजेक्शन सैफापेराजोन की खेप भी नहर से मिली है, जबकि 849 बिना लेवल वाले इंजेक्शन हैं, जिनके प्रिंट पानी में धुल चुके थे। इन पर सरकारी आपूर्ति लिखा है। यह सरकारी आपूर्ति किस राज्य के लिए है, इस बारे में कुछ नहीं लिखा है।

ड्रग इंस्पेक्टर तेजिंदर सिंह ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन सात कंपनियां बनाती हैं। सातों कंपनियों का रोपड़ में कोई स्टॉकिस्ट नहीं है। यह जांच की जा रही है कि सरकारी सप्लाई वाले इंजेक्शन नहर में कैसे आए। नहर से मिले रेमडेसिविर इंजेक्शन की फोटो जब उन्होंने अधिकारियों के सोशल मीडिया पर बने एक ग्रुप में शेयर की तो शुरुआती जांच में पता लगा है कि इंजेक्शन जाली हैं लेकिन फिर भी जांच की जा रही है। डीएसपी चमकौर साहिब सुखजीत सिंह विर्क ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की शिकायत के बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी।

इस संबंध में अकाली दल के उपाध्यक्ष डॉक्टर दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि नहर से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मिलने के मामले में गंभीरता के साथ जांच की जानी चाहिए, क्योंकि इसके तार हरियाणा में पकड़े गए नकली रेमडेसिविर के किंग पिंन से भी जुड़ सकते हैं। इन मामलों से बड़े गिरोह का खुलासा हो सकता है।