कोझिकोड (केरल)। पतंजलि के कथित रूप से भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के संबंध में कंपनी के सह-संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ केरल की एक अदालत में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
कोझिकोड में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट अदालत 3 जून को मामले की सुनवाई करेगी। दोनों आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ शुरू की गई अदालती अवमानना की कार्यवाही में उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था।
पतंजलि उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री करने वाली दिव्य फार्मेसी के खिलाफ अप्रैल में ड्रग्स इंस्पेक्टर ने मामला दर्ज किया है। यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 (बी) और 3 (डी) के तहत दायर किया गया था. जो कुछ बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाता है।
धारा 3(बी) विज्ञापनों में किसी भी दवा का जिक्र करने से रोकती है और सुझाव देती है कि इसका उपयोग यौन आनंद के लिए मनुष्य की क्षमता को बनाए रखने या सुधारने के लिए किया जा सकता है।
आईएमए ने भी दर्ज करवाया था केस
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आधुनिक चिकित्सा को अपमानित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने पतंजलि की दवाओं के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था और भ्रामक दावे करने के लिए इसके संस्थापकों को अवमानना नोटिस जारी किया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि यह झूठा दावा करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों का इलाज करती हैं, जबकि इसका कोई अनुभवजन्य साक्ष्य नहीं है। रामदेव और बालकृष्ण के अदालत में पेश होने और माफी मांगने के बाद अदालत ने माफीनामे को अखबारों में प्रकाशित करने का आदेश दिया था।