रोहतक। पीजीआईएमएस के डॉक्टर भी सरकार को चूना लगाने में माहिर हैं। नियमानुसार डॉक्टर सरकार के खर्च पर चार साल में केवल एक बार ही विदेश यात्रा पर जा सकते है। किन्तु इस नियम को संस्थान के डॉक्टरों ने कई बार तोड़ा है। आरटीआई के तहत इस बात का खुलासा हुआ है कि पीजीआईएमएस के कुछ डॉक्टर बाबुओं की मिलीभगत से विदेशों की कई बार सैर कर सरकार को चूना लगा चुके हैं। इस संबंध में निदेशक डॉ. रोहतास यादव ने हाल ही में तीन सदस्यों की जांच टीम भी गठित की है।
गौरतलब है कि प्रदेश में निजी फार्मा कंपनी व निजी इम्प्लांट कंपनियों के सहयोग से सरकारी डॉक्टरों की अवैध विदेश यात्रा सुर्खियों में है। सरकार के निर्देशों पर इसकी जांच भी चल रही है। गठित टीम डॉक्टरों की ओर से जमा कराए गए रिकार्ड की जांच करेगी। जानकारी मिली है कि सरकारी डॉक्टर चार साल में एक बार सरकारी खर्च पर विदेश यात्रा करने के बजाए हर दूसरे साल तो कुछ साल में दो बार विदेश यात्रा कर आए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि संस्थान के बाबुओं से निकलने वाली फाइल, अधीक्षक, ज्वाइंट डायरेक्टर, डायरेक्टर, रजिस्ट्रार व कुलपति की टेबल से गुजरने के बावजूद इन्हें विदेश जाने की मंजूरी किसने दी। सरकार की ओर से मांगी गई जांच रिपोर्ट में कुलपति स्वयं ही मान चुके हैं कि संस्थान के डॉक्टरों ने पूरी जानकारी नहीं दी। हैरानी की बात यह है कि संस्थान हर बार हवाई यात्रा मामले में जांच गठित करता है और इसकी जांच रिपोर्ट हर बार आरटीआई से मांग ली जाती है। सूत्रों की मानें तो हर बार मिलने वाली जानकारी में डॉक्टरों की ओर से दिए जाने वाले डाटा की डिटेल अलग होती है। सरकारी डॉक्टर को सरकार से विदेश जाने की अनुमति लेने के दौरान होने वाले खर्च का अनुमान व अपने शोध की जानकारी देते हुए एनओसी लेनी होती है। साथ ही एफिडेविट देना होता है कि वह बाहर कोई नौकरी नहीं करेगा। इसके साथ ही वह इस यात्रा में किसी बाहरी से मदद नहीं लेगा और जांच में दोषी पाए जाने पर वह कार्रवाई का हकदार होगा। सारी जांच होने के बाद वह विदेश जाता है और वापस आने पर उसे अपना बोर्डिंग पास लगाने के अलावा बिल, कांफ्रेंस के सबूत, होटल व अन्य खर्च का बिल देना होता है। यहां खेल यह होता है कि बोर्डिंग पास जमा कराया जाता है, जबकि टिकट किस अकाउंट से बुक है यह नहीं बताया जाता। कई बार होटल व अन्य खर्च की डिटेल तक नहीं दी जाती। ऐसे में सवाल उठता है कि हर कमी को देखने वाले बाबु इन खामियों को क्यों नहीं पकड़ पाते। गौरतलब है कि आरटीआई से मांगी गई जानकारी में कई डॉक्टरों के हर साल सरकार के खर्च पर विदेश जाने की पुष्टि हुई है।