शिमला। स्वास्थ्य विभाग हिमाचल में बतौर निदेशक डॉक्टर एके गुप्ता को विभाग के लिए जरूरी सामान खरीदने में भारी अनियमितताओं में संलिप्त होने के आरोप में निलंबित कर दिया। सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि डॉक्टर गुप्ता के कथित लेनदेन और भ्रष्टाचार को लेकर ऑडियो वायरल होने से राज्य के सतर्कता ब्यूरो ने उन्हें गिरफ्तार किया था। आरोपी को 10 दिन बाद ही 31 मई 2020 को सेवानिवृत्त होना था। सरकार ने डॉ. गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ. भारत भूषण कटोच को निदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। पूर्व निदेशक अजय गुप्ता को 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। इतना ही नहीं, इस ऑडियो कांड में कहीं ना कहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वयं को घिरता देख रहे थे, उन्होंने 27 मई को देर शाम अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मेडिकेयर न्यूज़ को बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशक के खिलाफ जांच चल रही है तथा गलत करने वालों को बिल्कुल बख्शा नहीं जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डीआर धीमान इस मामले की जांच करेंगे और सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। बताया जाता है कि कोविड 19 से बचाव संबंधित सामान खरीद में डॉक्टर गुप्ता द्वारा लाखों रुपए के कथित लेनदेन से संबंधित ऑडियो वायरल हुआ था। इस पर सतर्कता ब्यूरो ने जांच में सहयोग न करने पर डॉक्टर गुप्ता को अलसुबह ही भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया था। सरकार लगभग 43 मिनट के इस ऑडियो के वैज्ञानिक की जांच कराने की भी तैयारी कर रही है जिसमें पांच लाख रुपए के लेन-देन की बात कही गई है।

गिरफ्तारी के बाद जब एसआईयू की टीमों ने एसपी शालिनी अग्निहोत्री के नेतृत्व में गुप्ता के घर छापा मारा तो वहां पर करीब चार लाख की नकदी बरामद की गई। इसके अलावा घर के विभिन्न स्थानों से कई बैंकों के 25 खातों की पासबुक और कई अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज ब्यूरो के हाथ लगे हैं। इसके अलावा गुप्ता के कार्यालय से भी कई अहम दस्तावेज सीज किए गए। यह संभावना है कि जो पांच लाख रुपए की घूस की बात कही जा रही थी, यह राशि उसका हिस्सा हो सकती है। वहीं कोविड -19 के दौर में निदेशक स्तर के अधिकारी के घर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद ब्यूरो अब आय से अधिक संपत्ति के नजरिए से भी जांच करने की तैयारी कर रहा है।
हालांकि सतर्कता ब्यूरो मामले में अधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहा है लेकिन सूत्रों का कहना है कि जांच की तह तक पहुंचने के बाद कई सफेदपोश नेताओं के नाम भी सामने आ सकते हैं । वहीं हिमाचल के निकट अस्त एक अन्य राज्य में भी सुपरिटेंडेंट स्तर का एक कर्मचारी जो विभाग के कमिश्नर तक का नाम लेकर ऑनलाइन घूसखोरी करता था जिसकी भनक मुख्यालय में तैनात उच्च अधिकारी को मिली तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए सुपरिटेंडेंट को लंबी छुट्टी भेज दिया तथा उसके स्थानांतरण/ ट्रांसफर की भी सिफारिश कर दी। सूत्र बताते हैं कि सुपरिटेंडेंट स्तर के इस अधिकारी की अधिनस्थ कर्मचारी की मिलीभगत को कार्यवाही की नजर से अछूता इसलिए रखा क्योंकि अभी जांच के कदम चलने शुरू नहीं हुए। एसबी नाम का ये अधिकारी अपनी पुत्रवधु के बैंक अकाउंट के माध्यम से ऑनलाइन वसूली करता था। यदि साइबर क्राइम सेल से इनके मोबाइल व ई मेल की परतें खोली जाएं तो स्पष्ट हो ही जाएगा कि राज्य के कितने दवा निर्माता एसबी के शिकार हुए एवं एकत्रित धन किस-किस के हिस्से आया।  इसी घोटाले के चलते शायद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का इस्तीफा हुआ है। हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने अपनी नियुक्ति के साढ़े चार महीने के भीतर अपने पद से इस्तीफा दे दिया।  बिंदल ने कहा कि वह इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के कथित मामले में समुचित जांच हो।  भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे त्यागपत्र में बिंदल ने कहा है कि वह नैतिक आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि कुछ लोग राज्य के स्वास्थ्य निदेशक द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार में पार्टी का नाम घसीट रहे हैं।
गौरतलब है कि  कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य निदेशक अजय गुप्ता के निर्देशन में परचेजिंग कमिटी ने 9 करोड़ के सप्लाई ऑर्डर दिए थे। इसमें मोहाली की एक ही फर्म को पांच हजार पीपीई किट का ऑर्डर दिया गया था। हालांकि देशभर की 40 कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। खास है कि ऑडियो में पांच लाख की दलाली भी इन्हीं पीपीई किट की डील के लिए की जा रही थी। दरअसल कोरोना से निपटने के लिए राज्य सरकार ने निदेशालय और जिला स्तर पर खरीद की छूट दे रखी थी। विजिलेंस का कहना है कि हेल्थ डिपार्टमेंट में हुई इस दलाली के तार जिला स्तर तक जुड़े हैं।