रायपुर (छ.ग.)। राज्य में स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्था सुधारने को लेकर पशोपेश की स्थिति बनी है। हाल ही में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पीपीपी मोड के तहत निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। आला अधिकारियों का तर्क था कि अधिकांश शासकीय अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है। इसके चलते ही यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत रायपुर जिले के 4, दुर्ग जिले के 2, बलौदाबाजार जिले के 1, कोरिया जिले में 1, धमतरी जिले में 1 शासकीय अस्पताल को पीपीपी मोड के तहत निजी हाथों में देने का प्रस्ताव लिया गया है। जिन निजी संस्थाओं को ये अस्पताल दिए जाएंगे, उन्हें ही अस्पताल का पूरा संचालन करना होगा।
इसमें अस्पताल की आवश्यकतानुसार स्टाफ की भर्ती भी करनी होगी। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के पास स्मार्ट कार्ड होगा तो उनका शुुल्क स्मार्ट कार्ड से कट जाएगा। जिनके पास कार्ड नहीं हैं, उन्हें अस्पताल द्वारा तय शुुल्क का भुगतान कर इलाज कराना होगा। नए वित्तीय वर्ष में यह काम पूरा कर लिए जाने की उम्मीद जताई गई है।
उधर, इस प्रस्ताव के मंजूरी के बाद राज्य में हो रहे चौतरफा विरोध व आलोचना से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि एक भी अस्पताल को पीपीपी मोड पर नहीं दिया जाएगा। शासकीय अस्पतालों को निजी हाथों में देने की पूरी प्रक्रिया रोक कर नए सिरे से नियम व शर्तें बनाई जा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री की इस घोषणा के बाद शासकीय अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी बताकर निजीकरण का प्रस्ताव बनाने वाले आला अधिकरियों ने अब चुप्पी साध ली है।