जयपुर : यदि आप किसी प्रकार की एलर्जी रोग से ग्रस्त हैं और डॉक्टर ने आपको कोई एंटी एलर्जिक दवा लिखी है तो दवा खरीदते वक्त इस बात का खास ध्यान रखें कि केमिस्ट ने कहीं आपको पेंटाचेम कंपनी की सिट्रीजिन सीटेज-10 एमजी तो नहीं थमा दी, क्योंकि दवा कंपनी की लापरवाही से आप बेवजह टेंशन में आ जाएंगे। दवा पैकिंग में ऐसी लापरवाही बरती जा रही है कि आपस में जुड़े 10 गोलियों के पत्तों पर बैच नंबर, रेट, उत्पादन तिथि और एक्सपायरी तारीख सब कुछ अलग अंकित है। बात गंभीर है लेकिन कंपनी के कर्ता-धर्ताओं ने मिस प्रिंट होने का हलका सा जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया। मात्र 18 रुपये कीमत की गोलियों का पूरा पत्ता आपका दिमाग खराब कर सकता है।
Cetrizine dihydrocodeine tablet I.P. के एक पत्ते पर बैच नंबर पीटी-14-268, उत्पादन तिथि अक्तूबर 2014, एक्सपायरी सितंबर 2016 तथा मूल्य 14.79 रुपये प्रिंट हैं तो उससे  जुड़े हुए 10 गोलियों के दूसरे पत्ते पर बैच नंबर पीटी-14-276, उत्पादन तिथि अक्तूबर 2014, एक्सपायरी सितंबर 2017 तथा मूल्य 18 रुपये प्रिंट है। एक ही डिब्बे में एक-दूसरे से जुड़े पत्तों पर छपी यह जानकारी घोर लापरवाही है। यह अलग बात है कि कंपनी इसे हलके में ले रही है और दवा बाजार में जांच-पड़ताल के सारे नाके पार करते हुए कैमिस्टों के पास बिक्री के लिए पहुंच गई। स्वाभाविक है कि शिकायत मिलने पर दवा कंपनी माल वापस मंगवा सकती है लेकिन जिंदगी और मौत से जुड़े दवा जैसे संवेदनशील कारोबार में इस तरह की लापरवाही को चुपचाप नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये सब देखकर राज्य के ड्रग विभाग की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में नजर आती है। इसे ड्रग विभाग की ढीली चाल का असर ही कहेंगे कि दवा कंपनियां प्रिंटिग जैसे कामों मेें भी चलताऊ तरीका अपना रही हैं तो दवा की गुणवत्ता और निर्माण स्थल के लिए जरूरी संसाधनों के प्रति कितने सजग होंगे, सहज अंदाजा लगा सकते हैं।