नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण बढऩे का असर अब भारत पर भी दिखने लगा है। चीन से कच्चे माल की सप्लाई रुकते ही देश में पैरासिटामॉल दवाओं की कीमत 40 प्रतिशत बढ़ गई है। जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज आरपटेल का कहना है कि बैक्टीरिया इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन की कीमतें 70 प्रतिशत बढ़ गई हैं। अगले महीने के पहले सप्ताह तक चीन से सप्लाई शुरू नहीं हुई तो पूरी फार्मा इंडस्ट्री में इंग्रीडिएंट्स की कमी हो सकती है। गौरतलब है कि एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के आयात के लिए भारत की चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। किसी भी दवा को बनाने के लिए एपीआई सबसे अहम कंपोनेंट हैं। रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स के मुताबिक लागत और आर्थिक वजहों से भारत, चीन से एपीआई और बल्क ड्रग्स का आयात करता है। लागत के हिसाब से चीन से आने वाले एपीआई और बल्क ड्रग्स भारतीय फार्मा मैन्युफैक्चरर्स के लिए फायदेमंद हैं। फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि चीन में एपीआई प्रोडक्शन की लागत भारत से 20-30 फीसदी कम है। भारत में एपीआई प्रोडक्शन यूनिट अपनी क्षमता के मुकाबले 30 फीसदी तक काम कर रही हैं जबकि चीन में एपीआई प्रोडक्शन यूनिट अपनी क्षमता के मुकाबले 70 फीसदी तक काम कर रही हैं। भारत में एपीआई मैन्युफैक्चरिंग पर प्रॉफिट मार्जिन बहुत कम होने की वजह से भारतीय फार्मा इंडस्ट्री चीन से एपीआई का आयात करती है और यहां दवाएं बनाकर दूसरे देशों को निर्यात करती है। अब कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते चीन में फैक्ट्रियां बंद हैं। इस कारण सप्लाई प्रभावित हुई है। आने वाले समय में एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। भारत फार्मा इंग्रीडिएंट्स के कई प्रोडक्ट्स का 80 प्रतिशत तक चीन से आयात करता है।